Wednesday, July 2, 2025

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हर स्थिति के लिए तैयार रहें सुरक्षा बल : राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों को मौजूदा भू-रणनीतिक बदलावों और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्यों को ध्यान में रखकर दीर्घकालिक और अल्पकालिक दोनों ही तरह की चुनौतियों से निपटने की रणनीति बनानी चाहिए। उन्होंने बृहस्पतिवार को रक्षा कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सशस्त्र बलों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए जब भी आवश्यक हो, सैद्धांतिक बदलाव किए जाने चाहिए। रक्षा मंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि मौजूदा परिदृश्य में पूरा विश्व एक-दूसरे से जुड़ा है और अवांछित घटनाएं चाहे पड़ोस में हो या दूर के देशों में, सबको प्रभावित करेंगी। उन्होंने कहा कि हाइब्रिड युद्ध सहित अपरंपरागत और असममित युद्ध, भविष्य के पारंपरिक युद्धों का हिस्सा होंगे। साइबर, सूचना, संचार, व्यापार और वित्त सभी भविष्य के संघर्षों का अभिन्न अंग बन गए हैं। ऐसे में आवश्यक है कि सशस्त्र बल खुद को मौजूदा चुनौतियों के अनुरूप ढालने को तैयार रहें। उन्होंने कहा कि कमांडरों के सम्मेलन जैसे मंच पर वरिष्ठ नेतृत्व की सिफारिशों और सुझावों पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो मध्यावधि समीक्षा और संशोधन के साथ उन्हें तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र को अपनी सेना पर गर्व है। सरकार सुधारों और क्षमता आधुनिकीकरण के मार्ग पर सेना को आगे बढ़ने में सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। रक्षा मंत्री के संबोधन से पहले सुधारों का वर्ष विषय पर संक्षिप्त जानकारी भी दी गई।रक्षा मंत्री ने कहा कि सुरक्षा, एचएडीआर, चिकित्सा सहायता से लेकर देश में स्थिर आंतरिक स्थिति बनाए रखने तक हर क्षेत्र में सेना मौजूद है। राष्ट्र निर्माण और समग्र राष्ट्रीय विकास में भारतीय सेना की भूमिका अतुलनीय है। रक्षा मंत्री ने बीआरओ के प्रयासों की सराहना की जिसके कारण कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए पश्चिमी और उत्तरी दोनों सीमाओं पर सड़क संपर्क सुविधाओं में भारी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में सीएपीएफ/पुलिस बलों और सेना के बीच बेहतरीन तालमेल स्थिरता बढ़ाने में योगदान दे रहा है और आगे भी यह जारी रहना चाहिए।रक्षा मंत्री ने हर क्षेत्र में तकनीकी उन्नति का उल्लेख करते हुए इन्हें सही तरीके से अपनाने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों सहित असैन्य क्षेत्र के उद्योगों के साथ मिलकर विशिष्ट तकनीकों को विकसित करने के लिए सेना के प्रयासों की सराहना की और इस तरह स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण या आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने की बात कही। उन्होंने इस पर जोर दिया कि उभरती तकनीकों के साथ सशस्त्र बलों का नियमित संपर्क जरूरी है।

 

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