Tuesday, December 30, 2025

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‘हर बांग्ला बोलने वाला घुसपैठिया नहीं’: पीएम मोदी से मिलकर बोले अधीर रंजन चौधरी, भाषाई पहचान पर जताई चिंता

नई दिल्ली/कोलकाता: पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर एक संवेदनशील मुद्दे पर उनका ध्यान आकर्षित किया है। चौधरी ने प्रधानमंत्री से स्पष्ट रूप से कहा कि पश्चिम बंगाल या देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले ‘हर बांग्ला बोलने वाले व्यक्ति को बांग्लादेशी’ समझ लेना गलत है। उन्होंने बंगाली भाषियों के साथ होने वाले कथित भेदभाव और उनके नागरिकता संबंधी दस्तावेजों की जांच के नाम पर उन्हें परेशान किए जाने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया।

मुलाकात की मुख्य वजह: ‘पहचान का संकट’

अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री को सौंपे गए पत्र और बातचीत में कई महत्वपूर्ण बिंदु साझा किए:

  • भाषा बनाम नागरिकता: उन्होंने कहा कि बांग्ला दुनिया की सबसे समृद्ध भाषाओं में से एक है और भारत के कई राज्यों में भारतीय बंगाली सदियों से रह रहे हैं। सिर्फ भाषा के आधार पर उन्हें ‘संदिग्ध नागरिक’ की श्रेणी में खड़ा करना अन्यायपूर्ण है।
  • दस्तावेजों के नाम पर उत्पीड़न: चौधरी ने आरोप लगाया कि सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले गरीब और मेहनतकश बंगाली समुदाय के लोगों को अक्सर बांग्लादेशी घुसपैठिया कहकर डराया-धमकाया जाता है।
  • अधिकारों की रक्षा: उन्होंने मांग की कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी वास्तविक भारतीय नागरिक को उसकी भाषाई पहचान के कारण प्रताड़ित न किया जाए।

राजनीतिक संदर्भ और महत्व

यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बीच ‘घुसपैठ’ और ‘नागरिकता (CAA/NRC)’ के मुद्दों पर तीखी जंग चल रही है।

  1. भाजपा का स्टैंड: भाजपा अक्सर आरोप लगाती है कि बंगाल में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठ हुई है, जिससे जनसांख्यिकी बदल रही है।
  2. अधीर रंजन का रुख: कांग्रेस नेता का यह कदम एक तरफ बंगाली अस्मिता की राजनीति से जुड़ा है, तो दूसरी तरफ उन मतदाताओं को संदेश देने की कोशिश है जो नागरिकता के मुद्दे पर असुरक्षित महसूस करते हैं।

प्रधानमंत्री की ओर से आश्वासन

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधीर रंजन चौधरी की बातों को ध्यानपूर्वक सुना। हालांकि सरकार की ओर से आधिकारिक बयान आना बाकी है, लेकिन माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने संवैधानिक प्रावधानों के तहत हर वास्तविक नागरिक की सुरक्षा और सम्मान का भरोसा दिलाया है।

विशेष टिप्पणी: अधीर रंजन चौधरी का यह बयान बंगाल की उस ‘बंगाली अस्मिता’ (Bengali Identity) को छूता है, जिस पर ममता बनर्जी की राजनीति टिकी है। ऐसे में कांग्रेस नेता का यह स्टैंड राज्य के आगामी चुनावों में भाषाई समीकरणों को नया मोड़ दे सकता है।

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