नियाग्रा (कनाडा)। जी-7 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली का एक बयान अंतरराष्ट्रीय हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। अमेरिका-कनाडा संबंधों पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि “हर पेचीदा रिश्ते में कुछ उतार-चढ़ाव होते हैं, लेकिन सहयोग की भावना ही हमें आगे बढ़ाती है।” जोली का यह बयान ऐसे समय आया है जब दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा और कूटनीतिक मामलों को लेकर मतभेद देखने को मिल रहे हैं।
जोली ने कहा – साझेदारी मजबूत है, मतभेद स्वाभाविक
नियाग्रा फॉल्स में आयोजित जी-7 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान मीडिया से बातचीत में मेलानी जोली ने कहा, “कनाडा और अमेरिका के बीच रिश्ता बहुत पुराना और गहरा है। हर मजबूत साझेदारी में कभी-कभी असहमति होती है, लेकिन हम इन मतभेदों को बातचीत और सहयोग से सुलझाने में विश्वास रखते हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कनाडा अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए भी अमेरिका के साथ ‘रचनात्मक और व्यावहारिक सहयोग’ जारी रखेगा।
ऊर्जा और व्यापार नीतियों को लेकर बढ़ी तनातनी
हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच ऊर्जा निर्यात, व्यापारिक करारों और रक्षा खरीद जैसे मुद्दों पर तनाव देखा गया है। विशेष रूप से अमेरिका द्वारा कनाडाई स्टील और अल्युमिनियम पर बढ़ाए गए शुल्क और ऊर्जा आपूर्ति लाइनों से जुड़ी नीतियों पर कनाडा ने कड़ी आपत्ति जताई थी।
जोली ने कहा, “हम संवाद के ज़रिए इन जटिल मुद्दों का समाधान खोजने में विश्वास रखते हैं। उत्तरी अमेरिका का भविष्य सहयोग और संतुलन पर टिका है।”
अमेरिका के साथ ‘मित्रवत आलोचना’ का रुख
कनाडाई विदेश मंत्री ने कहा कि “कनाडा हमेशा अपने सहयोगियों से ईमानदारी से बात करता है, चाहे मामला कितना भी संवेदनशील क्यों न हो।” उन्होंने इसे ‘मित्रवत आलोचना (Friendly Criticism)’ बताया और कहा कि इससे रिश्तों में मजबूती आती है, न कि कमजोरी।
राजनयिक सूत्रों का कहना है कि यह बयान अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका की उन नीतियों पर टिप्पणी थी, जिनसे कनाडा को आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव झेलने पड़ रहे हैं।
जी-7 में साझा वैश्विक एजेंडे पर भी हुई चर्चा
जी-7 विदेश मंत्रियों की इस बैठक में कनाडा और अमेरिका के प्रतिनिधियों ने वैश्विक सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंडो-पैसिफिक रणनीति जैसे मुद्दों पर भी बातचीत की। सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि दुनिया को मौजूदा भूराजनीतिक अस्थिरता से निपटने के लिए लोकतांत्रिक देशों के बीच अधिक समन्वय और संवाद की जरूरत है।
विश्लेषकों ने कहा – रिश्तों की ‘रीसेट कोशिश’
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि मेलानी जोली का यह बयान कूटनीतिक संतुलन साधने की कोशिश है। विशेषज्ञों के अनुसार, “कनाडा अमेरिका पर निर्भर भी है और उससे असहमत भी। इसलिए यह बयान दोनों के बीच रिश्तों में ‘रीसेट’ का संकेत देता है।”
कनाडा की नीति को “स्वतंत्र पर सहयोगी रुख” के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें वह अमेरिकी नेतृत्व वाले समूहों में रहते हुए भी अपनी स्वतंत्र विदेश नीति की पहचान बनाए रखना चाहता है।




