हरिद्वार: जनपद के आंगनवाड़ी केंद्रों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की गई है। उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (UREDA) ने जिले के विभिन्न आंगनवाड़ी केंद्रों को सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) से जोड़ने की कवायद तेज कर दी है। इस योजना के धरातल पर उतरने के बाद केंद्र न केवल बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनेंगे, बल्कि बच्चों को भी बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।
बिजली कटौती से मिलेगी मुक्ति
वर्तमान में ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित कई आंगनवाड़ी केंद्रों को बिजली कटौती की समस्या का सामना करना पड़ता है। सौर ऊर्जा पैनल स्थापित होने से इन केंद्रों पर पंखे और लाइटें निर्बाध रूप से चल सकेंगी। उरेडा के अधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य बिजली की कमी को दूर करना और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना है।
उरेडा ने शुरू किया सर्वे का काम
योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए उरेडा ने प्राथमिक चरण में सर्वे का कार्य शुरू कर दिया है। इसके तहत उन आंगनवाड़ी केंद्रों को चिन्हित किया जा रहा है, जहां बिजली की उपलब्धता कम है या जहां सौर पैनल लगाने के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध है। विभाग का लक्ष्य है कि जल्द से जल्द संयंत्रों की स्थापना कर उन्हें चालू कर दिया जाए।
बच्चों और कार्यकत्रियों को होगा सीधा लाभ
आंगनवाड़ी केंद्रों में सौर ऊर्जा आने से वहां आने वाले छोटे बच्चों को भीषण गर्मी से राहत मिलेगी। साथ ही, केंद्रों में डिजिटल लर्निंग टूल्स और स्मार्ट क्लासरूम जैसी सुविधाओं को संचालित करना भी आसान हो जाएगा। आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे केंद्रों के संचालन और रिपोर्टिंग कार्यों में भी काफी मदद मिलेगी।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
यह पहल न केवल बिजली की समस्या का समाधान है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सौर ऊर्जा के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और हरित ऊर्जा को प्रोत्साहन मिलेगा। प्रशासन का प्रयास है कि हरिद्वार को एक ‘मॉडल जिले’ के रूप में विकसित किया जाए, जहां सरकारी संस्थान सौर ऊर्जा पर आधारित हों।





