भारत और सिंगापुर ने हरित डिजिटल शिपिंग गलियारे (जीडीएससी) के लिए एक समझौता किया है, जिससे समुद्री परिवहन को डिजिटलीकरण और पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा सके। इस आशय पत्र (एलओआई) पर मंगलवार को हस्ताक्षर किए गए, जिसमें डिजिटलीकरण और कार्बन मुक्त परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस समझौत से दोनों देश मिलकर ऐसी तकनीकी समाधान विकसित करेंगे जो जहाजों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन कम कर सकें। सिंगापुर के समुद्री और बंदरगाह प्राधिकरण और बंदरगाह, पोत परिवहन मंत्रालय की ओर से जारी साझा बयान के मुताबिक, भारत-सिंगापुर जीडीएससी से दोनों देशों में सहयोग बढ़ेगा और शून्य या लगभग शून्य जीएचजी उत्सर्जन प्रौद्योगिकियों के विकास, इस्तेमाल तथा डिजिटल समाधानों को अपनाने में तेजी लाने में मदद मिलेगी। भारत के बंदरगाह, पोत व जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी सिंगापुर की यात्रा पर हैं और उन्होंने इस समझौते को दोनों देशों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी का हिस्सा बताया। समझौते पर भारत की तरफ से संयुक्त सचिव आर, लक्ष्मणन और सिंगापुर की ओर से समुद्री-बंदरगाह प्राधिकरण प्रमुख तेओ इंग दिन्ह ने दस्तखत किए। मौके पर भारत से सोनोवाल और सिंगापुर से वहां की मंत्री एमी खोर मौजूद थे। बंदरगाह, पोत परिवहन व जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, यह व्यापक रणनीतिक साझेदारी दोनों देशों के बीच सहयोग को गहरा करेगी। वह तीन दिनी यात्रा (24 से 28 मार्च) के दौरान समुद्री सप्ताह में हिस्सा ले रहे हैं, जिसमें दुनिया भर से 20,000 प्रतिनिधि शामिल होंगे। आशय पत्र के तहत, दोनों पक्ष समुद्री डिजिटलीकरण और कार्बन मुक्त परियोजनाओं पर सहयोग करेंगे। इसमें उन प्रासंगिक हितधारकों की पहचान करना शामिल है जो इस प्रयास में योगदान दे सकते हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी में भारत आगे : खोर सिंगापुर की वरिष्ठ पर्यावरण राज्य मंत्री एमी खोर ने कहा, यह पहल समुद्री डिजिटल नवाचार व डीकार्बोनाइजेशन को आगे बढ़ाने के लिए समान विचारधारा के भागीदारों संग काम की प्रतिबद्धता दर्शाती है। भारत सूचना प्रौद्योगिकी में अग्रणी है, जिसमें हरित समुद्री ईंधन का एक प्रमुख निर्यातक बनने की क्षमता है।