उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर बयानबाज़ी को लेकर हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गुरुवार को गुरुद्वारा पहुंचकर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के हालिया बयान पर नाराज़गी जताते हुए माफी मांगी। उनके इस कदम को राजनीतिक संवेदनशीलता और समुदाय विशेष के प्रति सम्मान के रूप में देखा जा रहा है।
हरीश रावत ने गुरुद्वारा में माथा टेकने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि राजनीतिक गतिविधियों के बीच कई बार ऐसे वक्तव्य सामने आ जाते हैं जो किसी वर्ग या समुदाय को ठेस पहुँचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि “मुंह की फिसलन कभी-कभी भारी पड़ जाती है, इसलिए यदि किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो मैं व्यक्तिगत तौर पर माफी मांगता हूँ।” रावत ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके लिए सभी धर्मों और समुदायों का सम्मान सर्वोच्च है और राजनीति में इस प्रकार की कटुता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
दरअसल, हाल ही में हरक सिंह रावत के एक कथित बयान को लेकर सिख समुदाय में असंतोष व्यक्त किया जा रहा था। इसी संदर्भ में हरीश रावत ने गुरुद्वारा साहिब में उपस्थित होकर स्थिति को शांत करने और सामुदायिक सौहार्द को मजबूत करने की अपील की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की पहचान उसकी धार्मिक विविधता और आपसी भाईचारे में निहित है, जिसे किसी भी परिस्थिति में आंच नहीं आने दी जानी चाहिए।
रावत के इस माफी मांगने वाले रुख को कई राजनीतिक विश्लेषक एक सकारात्मक पहल के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि राज्य में चुनावी माहौल के बीच नेताओं को संयमित भाषा का प्रयोग करना चाहिए, ताकि अनावश्यक विवादों से बचा जा सके और जनता का भरोसा कायम रहे।





