गाजा संकट के समाधान और संघर्ष विराम को लेकर जारी अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को उस समय झटका लगा, जब इस्राइल ने हमास द्वारा पेश किए गए संशोधित प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। हालांकि, इस्राइली सरकार ने बातचीत के दरवाजे बंद नहीं किए हैं और अपना प्रतिनिधिमंडल रविवार को दोहा (कतर) भेजने का निर्णय लिया है। कतर इस बातचीत में मुख्य मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है।
संशोधन पर आपत्ति, लेकिन बातचीत जारी
हमास ने शुक्रवार को अमेरिका और इस्राइल के समर्थन वाले संघर्ष विराम प्रस्ताव पर अपनी सैद्धांतिक सहमति जताई थी, जिसके तहत 60 दिनों की अवधि में पांच चरणों में बंधकों की रिहाई का प्रावधान है — जिसमें आधे जीवित और आधे मृत इस्राइली बंधकों की वापसी शामिल थी।
हालांकि हमास ने इस प्रस्ताव में तीन प्रमुख संशोधन सुझाए:
1. स्थायी संघर्ष विराम की ओर बढ़ने की प्रतिबद्धता
2. गाजा में राशन और मानवीय सहायता की पूर्ण बहाली
3. इस्राइली सेना (IDF) की स्थिति को पूर्व संघर्ष विराम के स्तर पर लाना
इन बदलावों पर इस्राइल ने आपत्ति जताते हुए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, लेकिन कूटनीतिक स्तर पर आगे बात करने के लिए अपनी वार्ता टीम को दोहा भेजने का फैसला किया है।
नेतन्याहू अमेरिका रवाना, ट्रंप से होगी मुलाकात
इस बीच इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू रविवार को अमेरिका दौरे पर रवाना हो रहे हैं, जहां उनकी मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से प्रस्तावित है। वाशिंगटन में दोनों नेताओं के बीच गाजा संकट और संघर्ष विराम की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा हो सकती है।
बंधकों के परिजन नाखुश
संघर्ष विराम प्रस्ताव के तहत सिर्फ आधे बंधकों की रिहाई पर बंधकों के परिवारों में असंतोष व्याप्त है। उन्होंने इसे अस्थिर और दर्दनाक प्रक्रिया बताया है।
“इस तरह के चरणबद्ध समझौते हमारे प्रियजनों के जीवन को असमंजस में डालते हैं। यह न सिर्फ मानवीय संकट बढ़ाता है, बल्कि परिवारों की मानसिक स्थिति को भी गहरा आघात पहुंचाता है,” एक बंधक के परिजन ने कहा।
हमास और इस्राइल के बीच संघर्ष विराम को लेकर जारी बातचीत इस समय संवेदनशील मोड़ पर पहुंच गई है। जहां एक ओर इस्राइल संशोधनों को लेकर सख्त रुख अपना रहा है, वहीं राजनयिक प्रयास जारी हैं। अब सबकी नजर दोहा में होने वाली वार्ता और वाशिंगटन में नेतन्याहू-ट्रंप मुलाकात पर टिकी है, जो गाजा संकट की दिशा तय कर सकती है।