यमन स्थित हूती विद्रोहियों पर हमले की सूचना लीक होने के मामले में ट्रंप सरकार घिर गई है। ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों को संसद में सफाई देनी पड़ रही है। व्हाइट हाउस ने कहा कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सिग्न एप्प पर ‘द अटलांटिक’ के प्रधान संपादक जेफरी गोल्डबर्ग के साथ साझा की गई जानकारी गोपनीय नहीं थी। लेकिन विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस दावे को अविश्वसनीय बताते हुए कहा कि इसमें यमन के हूतियों पर होने वाले हमले की योजना विस्तार से बताई गई थी। डेमोक्रेटिक पार्टी ने मामले की जांच की मांग उठाई है। इस बीच, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) माइक वाल्ट्ज ने चूक स्वीकार करते हुए कहा कि यह पता लगाया जा रहा है कि गलती कैसे हुई। दरअसल, यमन स्थित हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले के लिए अमेरिकी अधिकारियों ने मैसेजिंग एप सिग्नल पर एक ग्रुप बनाया था। वाल्ट्ज ने इस ग्रुप को बनाने के बाद इसमें ट्रंप प्रशासन के 18 शीर्ष अधिकारियों को जोड़ा। इनमें उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, विदेश मंत्री मार्को रूबियो, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड व केंद्रीय खुफिया एजेंसी निदेशक जॉन रैटक्लिफ शामिल थे। किसी को यह अंदाजा नहीं था कि ग्रुप में कोई बाहरी व्यक्ति भी शामिल है। हड़कंप तब मच गया, जब द अटलांटिक पत्रिका के मुख्य संपादक जेफरी गोल्डबर्ग ने पूछा कि क्या यह ग्रुप आधिकारिक है। ऑनलाइन पत्रिका द अटलांटिक में सोमवार को लेख प्रकाशित होने के बाद हमले की सूचना लीक होने की जानकारी सार्वजनिक हो गई। इसमें गोल्डबर्ग ने लिखा कि 15 मार्च को हूतियों पर हमले के दो घंटे पहले ही उन्हें इसके बारे में जानकारी थी। गोल्डबर्ग ने लिखा कि उन्हें गलती से चैट ग्रुप में जोड़ लिया गया था। पूर्वाह्न 11.44 बजे मंत्री पीट हेगसेथ ने यमन पर होने वाले हमलों की जानकारी साझा की। इसमें लक्ष्य, हमले में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों व समय के साथ अन्य जानकारियां शामिल थीं। एनएसए वाल्ट्ज ने कहा, मैं यकीन के साथ नहीं कह सकता कि गोल्डबर्ग ग्रुप में कैसे शामिल हुए। उनसे मेरी कभी मुलाकात नहीं हुई, कभी संवाद नहीं हुआ। फॉक्स न्यूज के एक कार्यक्रम में वाल्ट्ज ने कहा, व्हाइट हाउस के तकनीकी विशेषज्ञ यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि गोल्डबर्ग उसमें कैसे जुड़े।
डेमोक्रेटिक सांसदों ने संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा के लिए मैसेजिंग एप के इस्तेमाल को लेकर ट्रंप प्रशासन की तीखी आलोचना की। अमेरिकी उच्च सदन सीनेट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान केंद्रीय खुफिया एजेंसी निदेशक (सीआईए) जॉन रैटक्लिफ व राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के इस ग्रुप पर संवाद पर सवाल पूछे गए। रैटक्लिफ व गबार्ड ने चैट में कोई गोपनीय जानकारी साझा नहीं करने की बात कही। जॉर्जिया के डेमोक्रेट सीनेटर जॉन ओसॉफ ने पूछा- निदेशक रैटक्लिफ, यह एक बहुत बड़ी गलती नहीं थी क्या? रैटक्लिफ ने थोड़ी देर की चुप्पी व सिर खुजलाने के बाद कहा, नहीं। इस बात पर जोर दिए जाने पर कि क्या ऐसी जानकारी को वर्गीकृत किया जाना चाहिए, गबार्ड ने टालमटोल किया। उन्होंने कहा, यह रक्षा मंत्री व राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के विचार पर निर्भर करता है। डेमोक्रेट नेताओं ने कहा कि अगर सैन्य अभियानों को लेकर खुफिया जानकारियां लीक हुईं, तो अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।