यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलमेंट (यूएसएड) के दुनियाभर में अधिकांश कर्मचारियों को शुक्रवार को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया। वहीं, कई कर्मचारियों ने इस फैसले को वापस लेने के लिए संघीय अदालतों का रुख किया। कर्मचारियों को जबरन छुट्टी पर भेजने का फैसला ट्रंप प्रशासन द्वारा 60 साल पुरानी सहायता एजेंसी को खत्म करने की योजना से जुड़ा है। एक न्यायाधीश ने शुक्रवार दोपहर संघीय कर्मचारी संघों के मुकदमे में सुनवाई की, जिन्होंने तर्क दिया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास कांग्रेस के कानून में निहित एजेंसी को बंद करने का अधिकार नहीं है। ट्रंप ने शुक्रवार को यूएसएड के सोशल मीडिया पर कहा, ‘इसे बंद कर दो।’कर्मचारियों ने शुक्रवार को वाशिंगटन मुख्यालय के बाहर एजेंसी का नाम छिपाने के लिए डक्ट टेप का इस्तेमाल किया और एक झंडा उतार दिया। कुछ कर्मचारियों ने दरवाजे के बाहर फूलों का गुलदस्ता भी रख दिया। यूएसएड के आधा दर्जन अधिकारियों ने शुक्रवार को पत्रकारों से बात की। इस दौरान उन्होंने विदेश मंत्री मार्को रुबियो के इस दावे पर विवाद किया कि विदेशों में सबसे आवश्यक जीवन रक्षक कार्यक्रमों को जारी रखने के लिए छूट मिल रही है। एक अधिकारी ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के आदेश से कई सौ कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया है और फंडिंग बंद कर दी गई है, जिससे एजेंसी का अस्तित्व संकट में है। ट्रंप प्रशासन और अरबपति सहयोगी एलन मस्क ने यूएसएड को अपने कार्यक्रमों के लिए अब तक का सबसे बड़ा निशाना बनाया है।
यूएसएड कर्मचारियों और अधिकारियों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने बृहस्पतिवार दोपहर को शेष यूएसएड अधिकारियों को बताया कि उसने 8,000 कर्मचारियों और ठेकेदारों के लिए आदेशित वैश्विक छुट्टी और फर्लो से 297 कर्मचारियों को छूट देने की योजना बनाई है। अधिकारियों ने कहा कि उस रात नौकरी पर बने रहने के लिए 611 कर्मचारियों की एक नई सूची को अंतिम रूप दिया गया, उनमें से कई को हजारों कर्मचारियों, ठेकेदारों और उनके परिवारों की विदेश में घर वापसी का प्रबंधन करना था। न्या विभाग के वकील ब्रेट शुमेट ने अदालत में 611 कर्मचारियों की पुष्टि की।
ट्रंप प्रशासन के आदेश के कारण यूएसएड के अधिकारियों और कर्मचारियों ने नाम न बताने की शर्त पर बात की। अधिकारियों ने कहा कि बचे हुए कर्मचारियों और ठेकेदारों में से कुछ, जिनमें 5,000 स्थानीय कर्मचारी भी शामिल हैं, कुछ जीवन रक्षक कार्यक्रम चलाएंगे।