नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने इटली के विद्वान प्रोफेसर फ्रांसेस्को ओरसिनी के भारत से निर्वासन को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया है। पार्टी ने इसे “आजाद और गंभीर विद्वानों से सरकार की दुश्मनी” बताया है और आरोप लगाया कि सरकार स्वतंत्र विचारधारा और आलोचनात्मक सोच को दबाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि “प्रोफेसर ओरसिनी जैसे प्रतिष्ठित इतिहासकार और अकादमिक विद्वानों का भारत से निष्कासन यह दिखाता है कि मौजूदा सरकार को स्वतंत्र सोच और आलोचनात्मक अध्ययन से डर लगता है।” उन्होंने कहा कि यह कदम देश की बौद्धिक स्वतंत्रता और शैक्षणिक प्रतिष्ठा पर आघात है।
रमेश ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार असहमति रखने वालों को निशाना बना रही है — चाहे वे पत्रकार हों, कलाकार हों या शिक्षाविद। उन्होंने कहा, “सरकार का रवैया साफ है — जो भी सत्ता की विचारधारा से अलग सोचता है, उसके लिए देश में कोई जगह नहीं।”
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी इस निर्णय की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार की नीति “संकीर्ण राष्ट्रवाद” पर आधारित है, जो भारत की समृद्ध शैक्षणिक और सांस्कृतिक परंपरा के विपरीत है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के विश्वविद्यालय भारत को विविधता और ज्ञान के केंद्र के रूप में देखते हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं देश की साख को नुकसान पहुंचा रही हैं।
गौरतलब है कि प्रोफेसर फ्रांसेस्को ओरसिनी, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में अतिथि शोधकर्ता के रूप में कार्यरत थे, को हाल ही में वीजा शर्तों के उल्लंघन के आरोप में देश छोड़ने का आदेश दिया गया था। ओरसिनी मध्यकालीन भारत के इतिहास और धार्मिक सहअस्तित्व पर अपने शोध के लिए जाने जाते हैं।
कांग्रेस ने मांग की है कि सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार करे और भारत की शैक्षणिक स्वतंत्रता की परंपरा को बनाए रखे। पार्टी का कहना है कि लोकतंत्र में विविध विचारों का सम्मान होना चाहिए, न कि उन्हें देश निकाला दिया जाए।