Friday, July 18, 2025

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स्वच्छता सर्वेक्षण 2024: इंदौर फिर बना नंबर 1, भोपाल, उज्जैन, देवास समेत मध्यप्रदेश के कई शहरों को सम्मान

स्वच्छता के क्षेत्र में मध्य प्रदेश ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के गुरुवार को घोषित परिणामों में इंदौर ने लगातार आठवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बनकर अपना कीर्तिमान कायम रखा है। इस बार इंदौर को सुपर लीग श्रेणी में भी शामिल किया गया था, जिसमें देश के वे 23 शहर शामिल हैं जो अब तक के सर्वेक्षणों में शीर्ष तीन स्थानों पर रहे हैं।
भोपाल बना सबसे स्वच्छ राजधानी शहर
राजधानी भोपाल को इस बार दोहरी उपलब्धि मिली। एक ओर यह देश की दूसरी सबसे स्वच्छ नगरी बनी, वहीं राजधानियों में पहला स्थान प्राप्त किया। भोपाल को 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में दूसरा स्थान मिला, जबकि पहले स्थान पर अहमदाबाद रहा।

महापौर मालती राय ने इस सफलता पर कहा कि भोपाल में स्वच्छता मित्रों और नागरिकों के साथ मिलकर सम्मान समारोह और लड्डू वितरण जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
उज्जैन, देवास, जबलपुर, बुधनी समेत कई शहरों को भी पुरस्कार
• उज्जैन को 3 से 10 लाख की जनसंख्या वाले शहरों की सुपर स्वच्छ लीग में पुरस्कार मिला।
• देवास को 50 हजार से 3 लाख जनसंख्या श्रेणी में देशभर में पहला स्थान प्राप्त हुआ।
• जबलपुर ने शानदार छलांग लगाते हुए इस बार देश में पांचवां स्थान पाया।
• बुधनी को 20 हजार से कम आबादी वाले शहरों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए सम्मान मिला।
• शाहगंज और ग्वालियर को भी विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए गए।
नेताओं की प्रतिक्रिया
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस उपलब्धि को “सुपर से भी ऊपर मध्य प्रदेश” बताते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत संकल्प का साकार रूप है। उन्होंने लिखा,
“इंदौर की स्वच्छता साधना, उज्जैन की धार्मिक गरिमा और बुधनी की नर्मदा तट की निर्मलता – ये सब मिलकर मध्यप्रदेश की आत्मा में रची-बसी स्वच्छता को दर्शाते हैं। यह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में संभव हो पाया है।”
मध्यप्रदेश ने स्वच्छता के क्षेत्र में जो सामूहिक जागरूकता, प्रशासनिक समर्पण और नागरिक सहभागिता का उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा है। इंदौर की लगातार शीर्ष रैंकिंग और अन्य शहरों की मजबूत उपस्थिति यह दर्शाती है कि स्वच्छता अब प्रदेश की संस्कार, संस्कृति और पहचान का हिस्सा बन चुकी है।

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