हिमाचल प्रदेश में अतिक्रमित वन भूमि से सेब के बागों को हटाने के हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी। यह याचिका शिमला के पूर्व उपमहापौर टिकेन्द्र सिंह पंवार और कार्यकर्ता अधिवक्ता राजीव राय द्वारा दायर की गई है।
सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ करेगी।
क्या है मामला?
2 जुलाई को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि वन विभाग अतिक्रमित क्षेत्रों से सेब के बागों को हटाकर वहां वन प्रजातियों का रोपण करे, और इसकी लागत अतिक्रमणकारियों से भू-राजस्व के रूप में वसूली जाए।
इस आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि यह निर्णय मनमाना, असंगत और संविधान तथा पर्यावरणीय सिद्धांतों के खिलाफ है।
क्या कहा याचिका में?
याचिका में दलील दी गई है कि:
- सेब के बाग महज अतिक्रमण नहीं, बल्कि हिमाचल की पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा हैं।
- ये मृदा स्थिरता में सहायक हैं, स्थानीय वन्यजीवों को आवास प्रदान करते हैं और हजारों किसानों की आजीविका से जुड़े हैं।
- विशेष रूप से मानसून के दौरान सेब के पेड़ों की कटाई, भूस्खलन और मिट्टी के कटाव का खतरा बढ़ा सकती है।
- हिमाचल प्रदेश पहले से ही भूकंपीय और पारिस्थितिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है।
शीर्ष अदालत से हस्तक्षेप की मांग
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह इस आदेश पर तत्काल रोक लगाए, ताकि राज्य में संभावित पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक नुकसान को रोका जा सके।