सूडान में जारी गृहयुद्ध ने देश को गहरे मानवीय संकट की ओर धकेल दिया है। दो वर्षों से चले आ रहे संघर्ष के चलते लाखों नागरिक भूख, बीमारी और विस्थापन का सामना कर रहे हैं। वैश्विक संगठनों के अनुसार, सूडान तेजी से “दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट” बन रहा है। लगभग 2.5 करोड़ लोग—यानी देश की आधी आबादी—गंभीर खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं, और कई क्षेत्रों में अकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
WHO ने चेताया है कि सूडान की स्वास्थ्य प्रणाली लगभग ध्वस्त हो चुकी है। दवाइयों की आपूर्ति टूट चुकी है और कुपोषण, कॉलरा तथा अन्य संक्रामक बीमारियाँ तेजी से फैल रही हैं। यूनिसेफ ने बच्चों में गंभीर कुपोषण और सुरक्षा संकट की ओर दुनिया का ध्यान खींचा है।
युद्ध प्रभावित इलाकों में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कई जगह लोग जानवरों की खाल, सूखी घास और चारा तक खाने पर मजबूर हैं। दारफुर क्षेत्र में विस्थापन चरम पर है, और सहायता सामग्री वहां पहुँच पाना बेहद मुश्किल हो गया है। एक शिविर में कुपोषण के कारण 13 बच्चों की मौत ने स्थिति की भयावहता को और स्पष्ट कर दिया है।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सूडान की हालात को “भयंकर अत्याचार” बताते हुए इसे दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट करार दिया है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाओं ने भी युद्धरत पक्षों से हिंसा रोकने और सहायता पहुँचाने के लिए सुरक्षित रास्ते खोलने की अपील की है। अफ्रीकी संघ ने भी चेतावनी दी है कि गृहयुद्ध के चलते भूख और बीमारी की स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सूडान का संकट सिर्फ युद्ध से जुड़े समाधान से नहीं सुलझेगा—यह एक व्यापक मानवीय हस्तक्षेप, पोषण सहायता और स्वास्थ्य सेवाओं की तत्काल बहाली की मांग करता है। यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने त्वरित कदम न उठाए, तो आने वाले दिनों में लाखों और लोग गंभीर खतरे में पड़ सकते हैं।




