राज्यों के कर्ज लेने की क्षमता पर केंद्र सरकार की तरफ से सीमा तय करने के केंद्र बनाम केरल मामले की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ करेगा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में केरल को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने इन्कार करते हुए मामले को संविधान पीठ को सौंप दिया। केरल की तरफ से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि केंद्र सरकार को केरल पर लगाए गई उधारी सीमा प्रतिबंधों में ढील देने का निर्देश दिया जाए। हालांकि, अदालत ने मांग को खारिज करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया यह माना जाता है कि जब राज्य ज्यादा उधार ले, तो केंद्र अगले वित्तीय वर्षों में कर्ज में कटौती कर सकता है। इस स्तर पर यह मामला केंद्र के पक्ष में है। केरल की याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार ने वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक राज्य के हिस्सा का कर्ज नहीं दिया है। लिहाजा, कर्ज को लेकर केंद्र की तरफ से लगाई गई पाबंदियो में ढील दिए जाने का निर्देश दिया जाए। इसके जवाब में केंद्र सरकार के महाधिवक्ता आर वेंकटरमानी ने कहा कि केरल सरकार का अपना अधिनियम कहता है कि वे अपने स्वयं के वित्तीय अनुशासन को नियंत्रित करेंगे। इससे पहले, केंद्र सरकार ने शर्तों के अधीन एकमुश्त उपाय के रूप में केरल को 5000 करोड़ देने का प्रस्ताव दिया था।