उत्तराखंड में प्रधानाचार्य पद पर विभागीय सीधी भर्ती के फैसले का राजकीय शिक्षक संघ ने कड़ा विरोध किया है।
संघ ने इसे हजारों शिक्षकों के साथ अन्याय करार देते हुए सरकार को चेताया है कि यदि यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो चुनाव आचार संहिता समाप्त होते ही आंदोलन किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री से जताई नाराजगी
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान और महामंत्री रमेश पैन्युली ने बुधवार को शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से उनके आवास पर भेंट की और इस फैसले पर गंभीर आपत्ति जताई।
संघ नेताओं का कहना है कि:
“पदोन्नति के योग्य शिक्षकों को नज़रअंदाज़ कर सीधी भर्ती करना एकतरफा और अन्यायपूर्ण है।”
पदोन्नति की आस में रिटायर हो रहे शिक्षक
संघ के अनुसार:
- शिक्षक वर्षों से प्रमोशन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
- कई शिक्षक बिना पदोन्नति के ही एक ही पद से सेवानिवृत्त हो जा रहे हैं।
- जबकि विभाग उन्हीं पदों को अब सीधी भर्ती से भरने की तैयारी कर रहा है।
इतिहास और नियमावली का हवाला
प्रांतीय महामंत्री ने कहा कि:
- यूपी शासनकाल से लेकर 2008 तक प्रधानाचार्य का पद पदोन्नति के माध्यम से भरा जाता रहा है।
- 2009 में अकादमिक और प्रशासनिक कैडर अलग करने की सिफारिश की गई थी, और
- 2011 में नई नियमावली बनी, लेकिन शिक्षकों के हित अब तक उपेक्षित हैं।
संघ की दो टूक चेतावनी
“अगर प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य के पदों पर 100% पदोन्नति नहीं की गई तो संगठन फिर से आंदोलन करेगा।“
— राम सिंह चौहान, प्रांतीय अध्यक्ष, राजकीय शिक्षक संघ