एआई शिखर सम्मेलन में एक विविध एआई पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की जरूरत रेखांकित करते हुए एआई के लिए मानव-केंद्रित, नैतिक दृष्टिकोण पर जोर दिया गया। सुरक्षा-संरक्षा पर केंद्रित शिखर सम्मेलन ने विकासशील देशों में असमानताएं दूर करने का आह्वान किया। सम्मेलन की प्राथमिकताओं के लिए भारत-फ्रांस ने सार्वजनिक-निजी अंतर पाटने को इनक्यूबेटर व एआई प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। भारत-फ्रांस सह-अध्यक्षता में आयोजित सम्मेलन के बाद साझा बयान में यूरोपीय संघ एवं अफ्रीकी संघ के अलावा कुल 58 देशों ने हस्ताक्षर किए। इसमें एआई की पहुंच बढ़ाने, प्रौद्योगिकी तैनाती में भरोसा व सुरक्षा तय करने का आह्वान किया गया। जनरुचि एआई पहल डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं, तकनीकी सहायता व डाटा, मॉडल विकास, खुलेपन और पारदर्शिता, ऑडिट, कंप्यूट, प्रतिभा, वित्तपोषण आदि में क्षमता निर्माण परियोजनाओं को बनाए रखेगी और उनका समर्थन करेगी। इससे सभी के लिए और सभी के द्वारा सार्वजनिक हित को आगे बढ़ाने वाले एक भरोसेमंद एआई पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन और सह-निर्माण किया जा सकेगा। सम्मेलन में एआई और ऊर्जा, नौकरी बाजार पर एआई के प्रभाव, शासन और सामाजिक प्रभाव पर भी चर्चा हुई।
साझा बयान के मुताबिक, हम वेधशालाओं के नेटवर्क निर्माण से नौकरी बाजार में एआई के प्रभावों पर संयुक्त ज्ञान बढ़ाने की जरूरत को पहचानते हैं। इससे कार्यस्थलों, प्रशिक्षण व शिक्षा के लिए एआई निहितार्थों का बेहतर अनुमान लगाया जा सकेगा।
साझा बयान में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प, वैश्विक डिजिटल समझौता, एआई की नैतिकता पर यूनेस्को की सिफारिश व अफ्रीकी संघ महाद्वीपीय एआई रणनीति पर बहुपक्षीय पहलों को सम्मेलन में मान्यता दी गई है।