मुंबई। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुखपत्र सामना ने एक बार फिर केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व पर सीधा हमला बोला है। गुरुवार को प्रकाशित संपादकीय में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए हाल ही में आए नए विधेयक को लेकर कड़ी आपत्तियां दर्ज की गई हैं।
विधेयक पर उठे सवाल
संपादकीय का शीर्षक ‘शाह का लच्छेदार उपदेश’ रखा गया है। इसमें कहा गया है कि नए विधेयक के तहत यदि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री पर गंभीर आपराधिक आरोप लगते हैं तो उन्हें पद छोड़ना पड़ेगा। सामना ने इस प्रस्तावना पर तंज कसते हुए लिखा कि “एनडीए नेतृत्व राजनीतिक भ्रष्टाचार की दलदल में धंसा हुआ है, लेकिन जनता के सामने राजनीति को सिद्धांतवादी और स्वच्छ बताने का ढिंढोरा पीट रहा है।”
“जेल से सरकार नहीं चलनी चाहिए”
लेख में यह स्वीकार किया गया है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की जवाबदेही तय होनी चाहिए। लेकिन साथ ही यह भी कहा गया कि ऐसे व्यक्ति, जिन पर गंभीर आपराधिक दाग हों, उन्हें शुरुआत से ही किसी संवैधानिक पद तक पहुंचने से रोका जाना चाहिए।
संपादकीय में लिखा है — “अमित शाह कहते हैं कि कोई भी सरकार जेल से नहीं चलनी चाहिए, यह सही है। लेकिन उन्हें यह भी समझना चाहिए कि जिनकी असली जगह जेल है, उन्हें मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने ही क्यों दिया जाए?”
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर का उल्लेख
सामना के संपादकीय ने अमित शाह के अतीत पर भी कटाक्ष किया। इसमें सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस का उल्लेख करते हुए कहा गया कि जब शाह गुजरात के गृह मंत्री थे, तब उन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया गया था।
संपादकीय में आरोप लगाया गया कि उस समय शाह ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा नहीं दिया, बल्कि “उनके खिलाफ पुख्ता सबूत मौजूद थे और जेल जाने से पहले वे कुछ समय के लिए गायब भी रहे।”
विपक्षी हमले तेज
संपादकीय के जरिए शिवसेना (यूबीटी) ने भाजपा नेतृत्व को यह संदेश देने की कोशिश की है कि “राजनीतिक नैतिकता और स्वच्छता की बात करने से पहले सत्ताधारी नेताओं को अपने अतीत और वर्तमान पर भी नज़र डालनी चाहिए।”