Thursday, November 13, 2025

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सात नवंबर को ऑपरेशनल होगा निसार उपग्रह, जनवरी में गगनयान मिशन का पहला मानव रहित परीक्षण

नई दिल्ली, 5 नवम्बर — भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने घोषणा की है कि भारत-अमेरिका की संयुक्त परियोजना के तहत विकसित ‘निसार’ (NISAR) उपग्रह आगामी 7 नवंबर को पूरी तरह ऑपरेशनल हो जाएगा। इसके साथ ही जनवरी 2026 में गगनयान मिशन के पहले मानव रहित परीक्षण की तैयारी भी अंतिम चरण में पहुंच गई है।

निसार उपग्रह—जो नासा और इसरो का संयुक्त मिशन है—को पृथ्वी की सतह की सूक्ष्म निगरानी के लिए विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य भूकंप, भूस्खलन, हिमनदों में परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन जैसी भूगर्भीय गतिविधियों पर वैज्ञानिक डेटा एकत्र करना है। इसरो अधिकारियों के अनुसार, निसार उपग्रह से पृथ्वी की सतह का उच्च-रिज़ॉल्यूशन रडार मानचित्र हर 12 दिन में तैयार किया जाएगा।

यह उपग्रह भारत के अंतरिक्ष स्टेशन से संचालित होगा और इसके डाटा का उपयोग कृषि, जलवायु पूर्वानुमान और प्राकृतिक आपदाओं के अध्ययन में किया जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह परियोजना भारत को वैश्विक स्तर पर भू-पर्यावरणीय निगरानी के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगी।

इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया कि निसार के सफल संचालन के बाद एजेंसी का पूरा ध्यान गगनयान मिशन पर केंद्रित होगा। जनवरी में प्रस्तावित पहले मानव रहित परीक्षण के तहत अंतरिक्ष यान को बिना किसी अंतरिक्ष यात्री के प्रक्षेपित किया जाएगा, ताकि सुरक्षा और तकनीकी पहलुओं का परीक्षण किया जा सके।

उन्होंने कहा कि मानवयुक्त मिशन की दिशा में यह कदम बेहद अहम है। परीक्षण सफल रहने पर 2026 के अंत तक भारत अपना पहला मानव अंतरिक्ष मिशन भेजने की दिशा में अग्रसर होगा। गगनयान के तहत तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री 400 किलोमीटर ऊंचाई तक की कक्षा में जाएंगे और वहां से सुरक्षित वापसी करेंगे।

भारत के इन दो प्रमुख अंतरिक्ष अभियानों—निसार और गगनयान—से देश की अंतरिक्ष क्षमता को नई ऊंचाई मिलने की उम्मीद है। वैज्ञानिक समुदाय का मानना है कि यह भारत को न केवल वैश्विक स्पेस टेक्नोलॉजी में अग्रणी बनाएगा बल्कि पर्यावरण और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भी नई संभावनाएं खोलेगा।

 

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