डॉ. हर्षवर्धन ने अपने राजनीतिक करियर के अंत से संन्यास का ऐलान किया। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उन्होंने अपने चुनावी करियर की उपलब्धियों को स्वीकार करते हुए अपने काम की ओर लौटने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राजनीति में उनका सहयोग गरीबी, बीमारी और अज्ञानता के खिलाफ लड़ने का एक अवसर था।