Wednesday, August 27, 2025

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सरयू नदी पर करोड़ों की लागत से बनने वाला पुल अब अधर में, शिलान्यास हुआ लेकिन उद्घाटन की संभावना नहीं

बागेश्वर। सरयू नदी पर मंडलसेरा से कठायतबाड़ा को जोड़ने के लिए प्रस्तावित पुल का निर्माण अब अधर में लटक गया है। करीब पाँच करोड़ से अधिक की लागत से स्वीकृत इस पुल का शिलान्यास सांसद अजय टम्टा ने वर्ष 2020-21 में किया था, लेकिन निर्माण शुरू होने से पहले ही इसे ‘औचित्यपूर्ण नहीं’ बताते हुए रोक दिया गया। अब इस पुल के उद्घाटन की संभावना भी क्षीण हो गई है।
स्थानीय जनता और प्रतिनिधियों का मानना है कि यह पुल क्षेत्र की एक बड़ी जरूरत है, क्योंकि मंडलसेरा, कठायतबाड़ा और दीपनगर इलाकों के लोग लंबे समय से संकरी सड़कों और ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहे हैं। पुल बनने से इस समस्या का समाधान हो सकता था और कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों को भी सुविधा मिलती।
कैसे शुरू हुई योजना

सुंदरकुंड के पास सरयू नदी पर 84 मीटर लंबे स्टील गार्डर पुल के निर्माण के लिए वर्ष 2019 में केंद्रीय सड़क निधि से 539.64 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। पहले चरण में यह धनराशि मंजूर हुई थी, जबकि कुल लागत करीब आठ करोड़ रुपये आँकी गई थी। इसके बाद वर्ष 2020-21 में सांसद अजय टम्टा ने पुल का शिलान्यास किया।
क्यों रुका निर्माण

लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों के अनुसार पुल निर्माण का औचित्य नहीं बन पाया। विभाग ने रिपोर्ट में बताया कि प्रस्तावित स्थल के अपस्ट्रीम में एक और डाउनस्ट्रीम में चार पुल पहले से मौजूद हैं। साथ ही, नदी में पहले से लगभग 150 मीटर दूरी पर अस्थायी पुल भी है। ऐसे में नए पुल के लिए आवश्यक तकनीकी शर्त—कम से कम डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी—पूरी नहीं हो रही थी।
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता संजय पांडे ने कहा, “सही है, इस पुल की लागत अधिक थी और तकनीकी दृष्टि से भी निकटवर्ती क्षेत्र में दूसरा पुल बनना उचित नहीं पाया गया।”
जनप्रतिनिधियों की राय

क्षेत्रीय विधायक पार्वती दास का कहना है कि पुल का निर्माण जनता की जरूरत है। उन्होंने कहा, “डिग्री कॉलेज के बच्चों को रोज़ाना इस पुल से होकर जाना पड़ता। ट्रैफिक जाम की समस्या कम होती और मंडलसेरा व दीपनगर के निवासियों को सीधी सुविधा मिलती। इस मुद्दे को मैं मुख्यमंत्री के समक्ष रखूँगी।”
जनता में नाराज़गी
स्थानीय लोगों का कहना है कि शिलान्यास के समय पुल को लेकर बड़ी उम्मीदें बंधी थीं, लेकिन अब निर्माण ठप पड़ने से निराशा फैल गई है। उनका मानना है कि प्रशासन और सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि वर्षों से चली आ रही यातायात समस्या का स्थायी समाधान हो सके।

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