संसद में एक महत्वपूर्ण खुलासे के दौरान सरकार ने स्वीकार किया कि हाल के महीनों में देश के कुछ प्रमुख हवाई अड्डों के आसपास विमानों के सिग्नल से छेड़छाड़ की घटनाएँ सामने आई हैं। विशेष रूप से दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे समेत कई अन्य प्रमुख एयरपोर्ट्स पर GPS स्पूफिंग की कोशिशें दर्ज की गई हैं। यह ऐसी गतिविधियाँ हैं जिनमें विमान को मिलने वाले नेविगेशन संकेतों में जानबूझकर गड़बड़ी पैदा की जाती है, जिससे उड़ान सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा सदन में दिए गए जवाब में बताया गया कि कुछ उड़ानों को अपेक्षित GPS सिग्नल में असामान्य उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। हालांकि समय रहते एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) की सतर्कता और विमानों की वैकल्पिक नेविगेशन प्रणालियों के कारण किसी भी बड़े हादसे को टाला जा सका। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि देश की सुरक्षा एजेंसियां इन घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए पहले ही जांच शुरू कर चुकी हैं।
मंत्रालय ने कहा कि GPS स्पूफिंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभरता हुआ साइबर सुरक्षा खतरा है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी घटनाएँ उड़ानों की दिशा तय करने वाली नेविगेशन प्रणाली को भ्रमित कर सकती हैं, जिससे विमान के मार्ग में विचलन की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि भारत के सभी बड़े हवाई अड्डों पर बहुस्तरीय सुरक्षा और सिग्नल निगरानी व्यवस्था लागू है, जो संदिग्ध गतिविधियों को तुरंत पकड़ लेती है।
सरकार ने यह भी बताया कि इन घटनाओं के बाद एयरपोर्ट्स पर निगरानी और तकनीकी सुरक्षा उपायों को और मजबूत किया गया है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय बढ़ाया गया है ताकि ऐसे साइबर खतरों का समय पर पता लगाकर आवश्यक कदम उठाए जा सकें। मंत्रालय के अनुसार, एयरलाइंस को भी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर उनकी सुरक्षा प्रक्रियाओं को अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं।
सदन में विपक्ष ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए कहा कि यदि नेविगेशन सिग्नलों के साथ ऐसी छेड़छाड़ जारी रही तो उड़ान सुरक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि जिम्मेदार तत्वों की पहचान और कार्रवाई कब तक पूरी होगी। सरकार ने आश्वासन दिया कि जांच एजेंसियां मामले की तह तक पहुँचने के लिए लगातार काम कर रही हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हर पहलू पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।





