तिरुवनंतपुरम। सबरीमाला मंदिर से जुड़े चर्चित सोना चोरी मामले ने केरल की सियासत में फिर हलचल मचा दी है। मामले की केंद्रीय जांच की मांग को बल देने के लिए केरल भाजपा ने सोमवार को एक करोड़ हस्ताक्षर जुटाने का व्यापक जनअभियान शुरू किया। पार्टी ने यह हस्ताक्षर अभियान सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजने का निर्णय लिया है, ताकि उनसे मामले में हस्तक्षेप और उच्चस्तरीय जांच सुनिश्चित करने का आग्रह किया जा सके।
अभियान की शुरुआत करते हुए भाजपा नेताओं ने कहा कि सबरीमाला मंदिर से जुड़े सोने की चोरी केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की वामपंथी सरकार और देवस्वम बोर्ड इस प्रकरण में पारदर्शिता बरतने में विफल रहे हैं।
भाजपा पदाधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार पर “मामले को दबाने और वास्तविक दोषियों को बचाने” का आरोप लगातार मजबूत होता जा रहा है।
भाजपा पदाधिकारियों ने बताया कि यह अभियान जिला, मंडल और बूथ स्तर तक चलाया जाएगा। मंदिरों, सार्वजनिक स्थलों और रथयात्राओं के दौरान भी हस्ताक्षर जुटाए जाएंगे। पार्टी का लक्ष्य अगले कुछ हफ्तों में एक करोड़ से अधिक हस्ताक्षर इकठ्ठा करना है, जिन्हें प्रधानमंत्री के कार्यालय को सौंपा जाएगा।
भाजपा नेताओं के अनुसार सबरीमाला मंदिर से संबद्ध सोने की चोरी का मुद्दा वर्षों से लंबित है और इसकी जांच में स्पष्टता नहीं है। उनका कहना है कि “लोगों की आस्था से जुड़े मुद्दे पर ढील या अस्पष्टता बर्दाश्त नहीं की जा सकती। केंद्र सरकार ही निष्पक्ष जांच सुनिश्चित कर सकती है।”
राज्य के सत्तारूढ़ दल और विपक्षी कांग्रेस ने भाजपा के इस हस्ताक्षर अभियान को चुनावी तैयारी का हिस्सा बताया है। उनका कहना है कि भाजपा धार्मिक भावनाओं को भुनाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, भाजपा ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि “यह आस्था, पारदर्शिता और न्याय का मुद्दा है, राजनीति का नहीं।”
सबरीमाला अयप्पा मंदिर से जुड़े सोने की चोरी का पुराना मामला राज्य में वर्षों से चर्चा का विषय रहा है। आरोप है कि देवस्वम बोर्ड के अंतर्गत रखे गए सोने के आभूषण गायब हुए, जिनकी जांच में कई अनियमितताएं सामने आईं। हालांकि, अब तक केस में निर्णायक प्रगति नहीं हुई है।
केरल भाजपा को भरोसा है कि प्रधानमंत्री को भेजा जाने वाला यह जनसमर्थन पत्र मामले को नई दिशा देगा। आने वाले दिनों में यह अभियान राज्य की राजनीति में और भी अधिक चर्चा का विषय बनने की संभावना है।





