सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तमाम राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कभी भी अपने सूचीबद्ध अधिवक्ता बदल सकते हैं लेकिन सभी को एक बात का ध्यान रखना होगा। अपने सूचीबद्ध वकीलों को बदलते समय यह सुनिश्चित करना होगा कि अदालत के कामकाज पर असर ना पड़े। कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ताओं के पैनल को बदलते समय राज्यों को कम से कम छह सप्ताह तक पुराने पैनल को जारी रखना चाहिए। इससे न्यायालयों को स्थगन देने के लिए मजबूर न होना पड़े। इस मामले में न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि एक राजनीतिक दल से दूसरे राजनीतिक दल में सत्ता परिवर्तन के बाद सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अदालत में पेश होने वाले अपने अधिवक्ताओं के पैनल को बदल रहे हैं। इस वजह से कोर्ट को परिवर्तन के आधार पर समय-समय पर स्थगन देना जरूरी है। कोर्ट ने आगे कहा कि यह सच है कि उनके पास अपने सूचीबद्ध अधिवक्ताओं को बदलने की शक्ति है, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखने की जरूरत है कि कोर्ट के कामकाज पर असर ना पड़े। इसलिए, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसा बदलाव करते समय अधिवक्ताओं के पुराने पैनल को कम से कम छह सप्ताह तक जारी रख सकते हैं। इससे न्यायालयों को स्थगन देने के लिए मबूर नहीं होना पड़ेगा।