जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर की सड़कों पर बुधवार शाम एक अलग ही नजारा देखने को मिला। पर्यावरण संरक्षण और अरावली की पहाड़ियों को बचाने के संकल्प के साथ सैकड़ों ‘जेन ज़ी’ (Gen Z) युवाओं ने शहर में जोरदार प्रदर्शन किया। हाथों में जलती हुई मशालें और पोस्टर लेकर इन युवाओं ने एसएमएस (SMS) स्टेडियम से अमर जवान ज्योति तक मार्च निकाला और सरकार से अरावली के अस्तित्व से खिलवाड़ न करने की मांग की।
1. क्यों उग्र हुए युवा?
इस विरोध प्रदर्शन की मुख्य जड़ सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार द्वारा अरावली की पहाड़ियों की दी गई नई परिभाषा है।
- 100 मीटर का मानक: नए नियमों के अनुसार, केवल 100 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को ही ‘अरावली’ की श्रेणी में रखकर सुरक्षा दी जाएगी।
- 90% हिस्सा खतरे में: युवाओं और पर्यावरणविदों का दावा है कि इस परिभाषा के कारण राजस्थान की लगभग 90 प्रतिशत पहाड़ियां संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगी, जिससे खनन माफियाओं को खुली छूट मिल सकती है।
2. मशाल जुलूस और अनोखा विरोध
युवा छात्र नेता कार्तिकेय भारद्वाज के नेतृत्व में निकले इस जुलूस में युवाओं ने अपनी आवाज बुलंद की।
- नारेबाजी: युवाओं ने ‘सेव अरावली, सेव लाइफ’ और ‘अरावली हमारी विरासत है’ जैसे नारों से माहौल गुंजायमान कर दिया।
- प्रतीकात्मक विरोध: प्रदर्शन के दौरान युवाओं ने नकली नोट उड़ाकर और आदेश की प्रतियों को जलाकर यह संदेश दिया कि वे पैसों के लालच में पर्यावरण की बलि चढ़ाने के खिलाफ हैं।
- प्रकृति पूजन: अमर जवान ज्योति पर पहुंचकर युवाओं ने पर्वत-प्रकृति का पूजन किया और संकल्प लिया कि वे अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए अरावली को सुरक्षित रखेंगे।
3. ‘डोल का बाग’ और स्थानीय चिंताएं
प्रदर्शनकारियों ने जयपुर के हृदय कहे जाने वाले ‘डोल का बाग’ और आसपास की पहाड़ियों की खराब होती स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि पहाड़ियों के कटने से जयपुर में ग्राउंड वॉटर लेवल गिर रहा है और तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। यदि अरावली को नहीं बचाया गया, तो राजस्थान का एक बड़ा हिस्सा मरुस्थल में तब्दील हो सकता है।
4. राजनीतिक सरगर्मी और प्रशासनिक रुख
इस आंदोलन को विपक्षी दल कांग्रेस और कई सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी सोशल मीडिया पर अपनी डीपी (DP) बदलकर ‘सेव अरावली’ मुहिम का समर्थन किया है।
- दूसरी ओर, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आश्वासन दिया है कि अरावली के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं होने दी जाएगी और अवैध खनन पर कड़ी कार्रवाई होगी।
5. भविष्य की चेतावनी
प्रदर्शनकारी युवाओं ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि अरावली की परिभाषा में सुधार नहीं किया गया और खनन पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगा, तो यह आंदोलन जयपुर से निकलकर दिल्ली तक पहुंचेगा। उन्होंने मांग की है कि पूरी अरावली पर्वतमाला को ‘इको-सेंसिटिव जोन’ घोषित किया जाए।





