संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को संसद में बार-बार हो रहे व्यवधानों को लेकर चिंता जताई और कहा कि इसका वास्तविक नुकसान सरकार से ज्यादा विपक्ष को होता है, क्योंकि वह सरकार को जवाबदेह ठहराने का अहम अवसर गंवा देता है।
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब मानसून सत्र का पहला सप्ताह विपक्ष के विरोध प्रदर्शनों के चलते लगभग पूरी तरह बाधित रहा है।
“सदन न चले, तो अफसरों को मिलती है राहत”
प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन द्वारा आयोजित संसद रत्न पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए रिजिजू ने कहा,
“जब संसद नहीं चलती है तो नौकरशाह राहत महसूस करते हैं, क्योंकि वे सवालों और जवाबदेही से बच जाते हैं। जब सदन कुछ ही मिनटों में स्थगित हो जाता है, तो न तो सवाल उठते हैं और न ही सरकार को जवाब देना पड़ता है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि संसद चलना न केवल लोकतंत्र के लिए आवश्यक है, बल्कि विपक्ष की भूमिका और प्रभावशीलता के लिए भी अनिवार्य है।
विपक्ष को विरोधी नहीं, सहयोगी मानता हूं: रिजिजू
रिजिजू ने अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती अनुभव साझा करते हुए कहा,
“2014 से पहले मेरा अधिकांश समय विपक्षी बेंच पर बीता है। राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन दुश्मनी नहीं होनी चाहिए। हम सब एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के साझेदार हैं।”
उन्होंने एक दिलचस्प किस्सा सुनाया, जब वे पहली बार लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी से मिलने गए थे।
“मैं सांसदों के लिए धूम्रपान कक्ष की मांग लेकर गया था। स्पीकर ने डांट लगाई और कहा कि यह तुम्हारी पहली मुलाकात है और तुम यह मांग लेकर आए हो? उस दिन मैंने सीखा कि पद और व्यक्ति का सम्मान कैसे किया जाता है।”