Thursday, September 19, 2024

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‘संविधान हत्या दिवस’ पर कांग्रेस का विरोध जारी

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने संविधान हत्या दिवस, तीन नए आपराधिक कानून पर विपक्ष का हंगामा और नीट मुद्दे पर बात की। आपातकाल लागू किए जाने की तारीख 25 जून को हर वर्ष संविधान हत्या दिवस के रूप में मानने के केंद्र सरकार के फैसले पर उन्होंने कहा कि आपातकाल एक गलती थी, जिसे खुद इंदिरा गांधी ने स्वीकार किया था। मगर आज 50 साल बाद आपातकाल के सही और गलत होने पर बहस करने का क्या मतलब है? भाजपा को अतीत भूल जाना चाहिए।  दरअसल, 25 जून 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देश में इमरजेंसी लगा दी थी। इसी वजह से मोदी सरकार ने कांग्रेस को घेरने के लिए हर साल ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का फैसला किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस दिन उन सभी महान लोगों के योगदान को याद किया जाएगा, जिन्होंने आपातकाल के अमानवीय दर्द को सहन किया था।

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा, ‘भाजपा 17वीं या 18वीं शताब्दी में वापस क्यों नहीं जा रही है? आज कुल भारतीय आबादी में से 75 फीसदी ने 1975 के बाद जन्म लिया है। आपातकाल एक गलती थी और इसे इंदिरा गांधी ने खुद स्वीकार किया था। हमने संविधान में संशोधन किया है ताकि आपातकाल इतनी आसानी से लागू न किया जा सके। 50 साल बाद आपातकाल के सही और गलत होने पर बहस करने का क्या मतलब है? भाजपा को अतीत को भूल जाना चाहिए। हमने अतीत से सबक सीखा है।’

यह सवाल पूछे जाने पर कि विपक्ष तीन नए आपराधिक कानूनों पर सरकार का समर्थन क्यों नहीं कर रहा है, इस पर कांग्रेस नेता चिदंबरम ने कहा, ‘मैंने करीब 40 सवाल पूछे हैं और उनमें से किसी का भी जवाब नहीं दिया जा रहा है। आईपीसी और सीआरपीसी के 90-95 फीसदी को काट-छांट कर चिपकाया गया है और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के 95-99 फीसदी को काट-छांट कर चिपकाया गया है। अगर कानून का अधिकांश भाग काट-छांट कर चिपकाया गया है, तो जो कुछ जोड़-घटाव किए गए हैं, उन्हें संशोधन के जरिए किया जा सकता था।’

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