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ऑपरेशन सिंदूर के बाद पर्यटन पर भी पड़ा असर

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कुमाऊं : कैसे हुआ नामकरण

इस प्रान्त का नाम कुर्मांचल या कुमाऊं होने के...

रामगंगा नदी घाटी में दबा है ऐतिहासिक शहर! फिर दुनिया के सामने लाने को ASI ने कसी कमर

अल्मोड़ा. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा...

नंदा देवी जात यात्रा – देवभूमि की अमृत धारा

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व्यक्तितव

वीर सिपाही शहीद केसरी चंद

उत्तराखंड देव भूमि के साथ वीरों की भी भूमि...

डॉ. यशवंत सिंह कठोच

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सुमित्रानंदन पंत

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Bachendri Pal

Bachendri Pal, (born May 24, 1954, Nakuri, India), Indian...

The World of Raghu Rai: His Photography & Life

It was a picture of a donkey that started...

ताना-बाना

उत्तराखंड में हुए एक सीक्रेट मिशन का खतरा आज भी बरकरार

बात 1965 की है,  जब वियतनाम युद्ध तेज हो रहा...

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उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बसे गाँवों में रोज़गार...

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Saturday, May 10, 2025

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संवारे जाएंगे पुराने कूप, सरकार देगी नया रूप

प्रदेश सरकार दशकों पुराने कुओं की सुध लेने जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन पुरानों कुओं का जीर्णोद्धार करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए कुओं का व्यापक सत्यापन अभियान चलाया जाएगा। साथ ही रख रखाव के जरिए इन्हें फिर से पुनर्जीवित किया जाएगा। प्राचीनकाल से कुएं गांवों से लेकर शहरों में तक मीठे और साफ पानी के स्रोत रहे हैं। इनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रहा है। कई जगह कुएं ऐतिहासिक घटनाओं के गवाह हैं। लेकिन समय के साथ जलापूर्ति की व्यवस्था बदलने से कुओं का उपयोग घटता चला गया। वर्तमान में कई जगह कुएं अतिक्रमण या उपेक्षा के शिकार हो चुके हैं। लेकिन अब प्रदेश सरकार एक बार फिर कुओं का रख-रखाव करने जा रही है। इसके लिए सीएम धामी ने बरसात से पहले कुओं की व्यापक सफाई करते हुए इन्हें पुनर्जीवित करने के निर्देश दिए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में भी विभिन्न सरकारी योजनाओं के जरिए कुओं की साफ-सफाई करते हुए पुनर्जीवित किया जाएगा।

सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक, प्रदेश सरकार गेम चेंजर योजना के तहत स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी (सारा) के जरिए जल स्रोतों के संरक्षण का प्रयास कर रही है। जल संरक्षण अभियान 2024 के तहत कुल 6350 सूखे (क्रिटिकल) जल स्रोतों पहचान की गई है। पेयजल और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण 929 स्रोतों का उपचार हो चुका है। साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भूजल रिचार्ज के लिए 297 रिचार्ज शॉफ्ट निर्मित किए जा चुके हैं। गत वर्ष विभिन्न जल संचय और संग्रहण संरचनाओं के निर्माण से 3.21 मिलियन घन मीटर वर्षा जल रिचार्ज किया गया।

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