प्रदेश सरकार दशकों पुराने कुओं की सुध लेने जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन पुरानों कुओं का जीर्णोद्धार करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए कुओं का व्यापक सत्यापन अभियान चलाया जाएगा। साथ ही रख रखाव के जरिए इन्हें फिर से पुनर्जीवित किया जाएगा। प्राचीनकाल से कुएं गांवों से लेकर शहरों में तक मीठे और साफ पानी के स्रोत रहे हैं। इनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रहा है। कई जगह कुएं ऐतिहासिक घटनाओं के गवाह हैं। लेकिन समय के साथ जलापूर्ति की व्यवस्था बदलने से कुओं का उपयोग घटता चला गया। वर्तमान में कई जगह कुएं अतिक्रमण या उपेक्षा के शिकार हो चुके हैं। लेकिन अब प्रदेश सरकार एक बार फिर कुओं का रख-रखाव करने जा रही है। इसके लिए सीएम धामी ने बरसात से पहले कुओं की व्यापक सफाई करते हुए इन्हें पुनर्जीवित करने के निर्देश दिए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में भी विभिन्न सरकारी योजनाओं के जरिए कुओं की साफ-सफाई करते हुए पुनर्जीवित किया जाएगा।
सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक, प्रदेश सरकार गेम चेंजर योजना के तहत स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी (सारा) के जरिए जल स्रोतों के संरक्षण का प्रयास कर रही है। जल संरक्षण अभियान 2024 के तहत कुल 6350 सूखे (क्रिटिकल) जल स्रोतों पहचान की गई है। पेयजल और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण 929 स्रोतों का उपचार हो चुका है। साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भूजल रिचार्ज के लिए 297 रिचार्ज शॉफ्ट निर्मित किए जा चुके हैं। गत वर्ष विभिन्न जल संचय और संग्रहण संरचनाओं के निर्माण से 3.21 मिलियन घन मीटर वर्षा जल रिचार्ज किया गया।