Friday, November 21, 2025

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संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान की तेल तस्करी पर कड़ा कदम उठाया

वाशिंगटन / न्यू दिल्ली — अमेरिकी प्रशासन ने ईरान के तेल तस्करी नेटवर्क और गुप्त व्यापार नेटवर्क को निशाना बनाने के लिए बड़े पैमाने पर नए आर्थिक प्रतिबंध जारी किए हैं। इन प्रतिबंधों की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब अमेरिका का कहना है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम, सेना और समर्थित आतंकवादी समूहों को वित्तपोषित करने के लिए तेल आय पर निर्भर है।

 

प्रतिबंधों का दायरा और लक्ष्य

  • अमेरिका ने कुल 17 कंपनियों, व्यक्तियों और जहाजों को नए प्रतिबंधों की सूची में शामिल किया है, जिनमें भारत की दो प्रमुख इकाइयाँ भी शामिल हैं — एक शिपिंग कंपनी और एक पेट्रोल ट्रेडर।
  • विदेश विभाग ने स्पष्ट किया है कि ये कदम उन वित्तीय प्रवाह को रोकने के लिए हैं, जो कथित रूप से ईरान को उसके संवेदनशील कार्यक्रमों के लिए सहायता प्रदान करते हैं।
  • अमेरिकी ट्रेजरी विभाग का कहना है कि ईरान “गुप्त तेल लेन-देन” के माध्यम से अपनी आय बढ़ा रहा है, जिसे अमेरिका रोकने पर जोर दे रहा है।

 

भारत की दो कंपनियों पर आरोप और प्रतिबंध

  1. टीआर6 पेट्रो
    • यह एक पेट्रोलियम ट्रेडिंग कंपनी है, जिस पर आरोप है कि उसने अक्टूबर 2024 से जून 2025 के बीच ईरान से लगभग 8 मिलियन अमेरिकी डॉलर का बिटुमेन (तेल उत्पाद) खरीदा।
    • अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यह “तेल खरीद” प्रतिबंधों का उल्लंघन करती है।
    • इसलिए कंपनी को अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों के दायरे में लाया गया है, जिससे उसकी वैश्विक लेन-देन क्षमता प्रभावित हो सकती है।
  2. आरएन शिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड
    • यह मुंबई आधारित शिपिंग कंपनी भी प्रतिबंधों की मार में आई है। आरोप है कि इस कंपनी ने जहाजों का संचालन किया, जो गुप्त रूप से ईरानी कच्चा तेल अन्य कंपनियों को पहुँचाते थे।
    • कंपनी से जुड़े दो भारतीय नागरिक, जैर हुसैन इकबाल हुसैन सैयद और जुल्फिकार हुसैन रिजवी सैयद, को भी प्रतिबंधित सूची में शामिल किया गया है।
    • यह नेटवर्क सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है — उनकी गतिविधियों को उन देशों तक फैलाया गया माना जाता है, जिनमें यूएई, पनामा, जर्मनी, ग्रीस और गाम्बिया शामिल हैं। इन आरोपों के मुताबिक ये देश ईरान के गुप्त तेल परिवहन में ‘मध्यस्थ’ का काम कर रहे हैं।

 

ईरानी एयरलाइन पर भी कार्रवाई

  • प्रतिबंधों की सूची में माहान एयर नामक ईरानी निजी एयरलाइन और उसकी सहायक कंपनी यज्द इंटरनेशनल एयरवेज को भी शामिल किया गया है।
  • अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि ये एयरलाइनें ईरान की IRGC (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) – सैन्य शक्ति के साथ मिलकर, सीरिया और लेबनान में हथियार और सेनानी पहुंचाती रही हैं।
  • कई माहान एयर के विमान “ब्लॉक्ड प्रॉपर्टी” घोषित किए गए हैं, जिससे उनकी उड़ान-वित्तीय गतिविधियों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

 

अमेरिका की मंशा और अपेक्षित असर

  • ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि ईरान की तेल आय को रोकना उसकी परमाणु क्षमताओं को सीमित करने की रणनीति का हिस्सा है।
  • इन प्रतिबंधों के तहत, जिन कंपनियों और व्यक्तियों को नामित किया गया है, उनकी संपत्ति अमेरिका में फ्रीज कर दी गई है।
  • इसके अलावा, अमेरिकी नागरिकों तथा कंपनियों पर इन व्यक्तियों एवं संस्थाओं के साथ कोई लेन-देन करने पर प्रतिबंध है।
  • यदि कोई अमेरिकी या अन्य हितधारक इन प्रतिबंधों का उल्लंघन करता है, तो कड़े जुर्माने या कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
  • अमेरिका का यह स्पष्ट कहना है कि यह कदम दंडात्मक कार्रवाई नहीं, बल्कि ईरान को “अपने व्यवहार में बदलाव लाने के लिए मजबूर करने” का एक तरीका है।

 

अंतरराष्ट्रीय और राजनीतिक प्रतिक्रिया

  • इस कार्रवाई से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अमेरिका ईरान के तेल व्यापार के गुप्त मार्गों को उजागर और अवरुद्ध करना चाहता है, खासकर उन चैनलों को जिनका उपयोग वित्तीय दवाब के बिना हथियारों और सैन्य अभियानों के लिए किया जाता है।
  • यह प्रतिबंध न सिर्फ आर्थिक बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी असरदार हो सकते हैं, क्योंकि वे ऐसे नेटवर्क पर चोट करते हैं जिनके माध्यम से ईरान अपनी राजनीतिक और सैन्य पहुंच को बढ़ाता है।
  • भारत की कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंध इस बात का भी उदाहरण हैं कि संयुक्त राज्य बड़े वित्तीय नेटवर्क और ट्रांसनेशनल व्यापार को भी देख रहा है, न कि सिर्फ घरेलू खिलाड़ियों को।

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