श्रीलंका के आर्थिक हालात तो सुधर रहे हैं, लेकिन यहां की राजनीति उतनी ही उलझती जा रही है। यहां इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कई अटकलें बनी हुई हैं। हालांकि, अब प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने ने साफ कर दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी द्वारा राष्ट्रपति और आम चुनाव टालने के विवादास्पद प्रस्ताव को ‘गैरजिम्मेदाराना‘ करार दिया। साथ ही कहा कि श्रीलंका सरकार ने राष्ट्रपति चुनाव टालने के लिए किसी भी समय चर्चा नहीं की थी। यहां के चुनाव आयोग ने इस महीने की शुरुआत में एलान किया था कि राष्ट्रपति चुनाव 17 सितंबर से 16 अक्तूबर के बीच कराए जा सकते हैं। इस बीच, विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के महासचिव पलीथा रेंज बंदारा ने राष्ट्रपति और आम चुनावों को दो साल के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यदि परिस्थितियां सही रहीं तो इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से संसद में पेश किया जा सकता है। गुणवर्धने ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि राष्ट्रपति चुनाव इस साल कराए जाने हैं। संविधान चुनाव आयोग को चुनाव कराने का अधिकार देता है। उन्होंने आगे कहा कि संविधान के अनुसार चुनाव आयोग के पास ऐसी शक्ति है कि वह तय तारीखों के भीतर राष्ट्रपति चुनाव करा सकता है। इसे जल्दी या बाद में नहीं कराने को कहा जा सकता। संविधान में प्रावधान हैं।‘