काफी समय तक श्रीलंका पर राजपक्षे परिवार का राज था। हर कहीं राजपक्षे परिवार का ही प्रभाव नजर आता था। लेकिन साल 2022 में यह तस्वीर उस वक्त बदल गई थी, जब देश भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। बिगड़ते हालातों से जनता इस परिवार से खासी नाराज थी। गोटाबाया राजपक्षे ने दबाव में आकर राष्ट्रपति पद से इस्तीफा भी दे दिया था। अब श्रीलंका के आर्थिक हालात धीरे–धीरे पटरी पर आ रहे हैं। हालांकि, इन सबके बीच राजपक्षे पार्टी अपनी कमबैक की प्लानिंग कर चुकी है। पार्टी आगामी चुनावों के जरिए राजनीति में वापस आने की कोशिश करेगी। पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और पूर्व वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे को 2022 में वित्तीय और राजनीतिक संकट के बाद सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। पूर्व मंत्री एसएम चंद्रसेना ने पत्रकारों को बताया कि राजपक्षे की श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी या पीपल्स फ्रंट) पार्टी उत्तर मध्य ग्रामीण शहर थलावा में एक सार्वजनिक रैली आयोजित करेगी। उन्होंने कहा कि महिंदा राजपक्षे रेली का उद्घाटन करेंगे।इसका उद्देश्य पार्टी को राष्टपति या संसदीय चुनावों के लिए जमीनी स्तर पर तैयार करना है। चुनाव अधिनियम के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव संसदीय चुनावों से पहले होना चाहिए। अगला संसदीय चुनाव अगस्त 2025 से पहले नहीं होना है। राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे संसदीय चुनाव से पहले राष्ट्रपति चुनाव कराना चाहते हैं। इस बात का संकेत उन्होंने बुधवार को दिया था। हालांकि, एसएलपीपी चाहती है कि संसदीय चुनाव 2025 की निर्धारित तारीख से पहले हो जाएं।