Wednesday, October 22, 2025

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शुभ मुहूर्त में शीतकाल के लिए बंद हुए गंगोत्री धाम के कपाट, भक्तों ने किए मां गंगा के दर्शन

उत्तरकाशी। उत्तराखंड के चार धामों में से एक, पवित्र गंगोत्री धाम के कपाट मंगलवार को विधि-विधान और मंत्रोच्चार के बीच शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के इस शुभ अवसर पर हजारों श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद रहे और मां गंगा के दर्शन कर स्वयं को धन्य समझा।

विशेष पूजा-अर्चना के बाद हुआ कपाट बंद

गंगोत्री मंदिर समिति के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा से पूर्व निर्धारित अभिजीत मुहूर्त में मां गंगा की पूजा-अर्चना, भोग और आरती के बाद कपाट बंद किए गए। इस अवसर पर मुख्य पुजारी ने परंपरागत विधि से देवी गंगा की उत्सव मूर्ति को शीतकालीन प्रवास मुख्यमठ (मुखबा गांव) के लिए रवाना किया। मुखबा गांव में सर्दियों के छह महीनों तक देवी गंगा की पूजा-अर्चना जारी रहेगी।

भक्तों का उमड़ा सैलाब

कपाट बंद होने के अवसर पर देशभर से आए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। भक्तों ने सुबह से ही मंदिर परिसर में कतारें लगानी शुरू कर दी थीं। पूरे क्षेत्र में “जय मां गंगे” के जयकारे गूंजते रहे। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्थाओं के लिए पुख्ता इंतजाम किए थे।

मौके पर गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया कि इस वर्ष यात्रा सीजन के दौरान लाखों श्रद्धालुओं ने मां गंगा के दर्शन किए। उन्होंने कहा कि यह धार्मिक परंपरा और श्रद्धा का प्रतीक है कि सर्दियों में भी भक्त देवी गंगा की पूजा में कमी नहीं आने देते।

परंपरा के अनुसार, हर वर्ष दीपावली के बाद गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद मां गंगा की उत्सव मूर्ति डोली में विराजमान होकर मुखबा गांव ले जाई जाती है, जहां सर्दियों के छह महीनों तक विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और स्थानीय लोग इसे अपनी धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक पहचान से जोड़कर देखते हैं।

यात्रियों को दी गई सुरक्षा और यातायात व्यवस्था

कपाट बंद होने के कार्यक्रम को देखते हुए उत्तरकाशी प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए। पुलिस, एसडीआरएफ और चिकित्सा दलों को प्रमुख स्थानों पर तैनात किया गया था।

गौरतलब है कि गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद अब क्रमशः यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के कपाट भी निर्धारित तिथियों पर बंद किए जाएंगे। इसके साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा औपचारिक रूप से संपन्न हो जाएगी।

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