आगामी शीतकालीन सत्र में संसद एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक मुद्दे पर चर्चा करने जा रही है। 8 दिसंबर को सदन में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ पर विशेष विचार-विमर्श आयोजित किया जाएगा। सत्र की कार्यवाही की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से होगी, जिसमें वे इस विषय के विभिन्न ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और संवैधानिक पहलुओं पर अपनी दृष्टि प्रस्तुत करेंगे।
सूत्रों के अनुसार, यह चर्चा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि वंदे मातरम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा का केंद्र रहा है और आज भी राष्ट्रीय गौरव और एकता का महत्वपूर्ण प्रतीक है। इस चर्चा का उद्देश्य इसके इतिहास, साहित्यिक महत्व, राष्ट्रीय भावनाओं में इसके योगदान और विभिन्न कालखंडों में इसकी भूमिका को रेखांकित करना है।
संसद में यह विमर्श ऐसे समय में हो रहा है जब देश अपनी सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्रवादी चेतना से जुड़े मुद्दों पर व्यापक संवाद की ओर बढ़ रहा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह चर्चा न केवल जनप्रतिनिधियों को राष्ट्रगीत के संदर्भ को गहराई से समझने का अवसर देगी, बल्कि देश के युवा वर्ग में भी इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक होगी।
संसदीय प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी की ओर से सत्र की शुरुआत एक महत्त्वपूर्ण संदेश का संकेत है। उनके संबोधन में वंदे मातरम की रचना, इसके लेखक बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की भूमिका और स्वतंत्रता आंदोलन में इसके योगदान को प्रमुखता से रेखांकित किए जाने की संभावना है।
शीतकालीन सत्र में इस विशेष चर्चा के साथ कई विधेयकों और नीतिगत मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा, लेकिन वंदे मातरम पर आयोजित यह विमर्श सत्र की प्रमुख आकर्षण बिंदु माना जा रहा है।





