वाशिंगटन/नई दिल्ली — अमेरिकी व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को दावा किया है कि भारत ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुरोध के बाद रूस से तेल की खरीद कम कर दी है। इस दौरान अमेरिका ने चीन का भी जिक्र किया और कहा कि वैश्विक ऊर्जा और भू‑राजनीति के परिदृश्य में चीन की गतिविधियों पर भी निगाह रखी जा रही है।
व्हाइट हाउस का बयान
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि “भारत ने ट्रंप के अनुरोध और वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति की स्थिति को ध्यान में रखते हुए रूस से तेल की मात्रा घटाई है।”अधिकारी ने यह भी कहा कि यह कदम ऊर्जा बाजार में संतुलन बनाए रखने और वैश्विक दबावों के अनुरूप भारत की भूमिका को दर्शाता है।उन्होंने चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि अमेरिका रूस और चीन दोनों की गतिविधियों पर नजर रख रहा है, क्योंकि ये देश वैश्विक ऊर्जा और सुरक्षा नीति को प्रभावित कर सकते हैं।
भारत ने परंपरागत रूप से रूस से तेल और गैस की खरीद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।पिछले कुछ वर्षों में भारत ने विविध ऊर्जा आपूर्ति स्रोतों पर ध्यान केंद्रित किया है और अमेरिकी दबाव के तहत रूस से क्रय में कमी की जा सकती है।विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक ऊर्जा बाजार में संतुलन बनाए रखने की कोशिश के रूप में भी देखा जा सकता है।
व्हाइट हाउस ने चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि वैश्विक ऊर्जा और भू‑राजनीतिक निर्णयों में चीन की भूमिका भी अहम है।चीन और रूस के बीच ऊर्जा व्यापार, विशेषकर तेल और गैस, वैश्विक बाजारों और अमेरिका की रणनीतिक नीतियों को प्रभावित कर सकता है।अमेरिका का उद्देश्य भारत और अन्य सहयोगी देशों के साथ मिलकर वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन बनाए रखना है।
अंतरराष्ट्रीय नीति विशेषज्ञों के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच यह ऊर्जा सम्बन्ध केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक संतुलन और कूटनीतिक दबाव का भी हिस्सा है।भारत के लिए यह चुनौती है कि वह ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखे और साथ ही वैश्विक राजनीतिक दबावों का संतुलन साधे।




