Wednesday, March 12, 2025

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वोटर लिस्ट और परिसीमन के मुद्दे पर संसद में हंगामा

परिसीमन और तीन भाषा नीति के मुद्दे पर तमिलनाडु की डीएमके सरकार केंद्र पर लगातार हमले बोल रही है। सोमवार को बजट सत्र के दूसरे चरण के शुरू होते ही संसद में भी ये मुद्दे उठे और साथ ही वोटर लिस्ट का मामले पर भी चर्ची की मांग उठी। राज्यसभा में उपसभापति ने इन मुद्दों पर चर्चा से इनकार कर दिया तो विपक्ष ने इसे लेकर खूब हंगामा किया और सदन से वॉकआउट किया। सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा ने विपक्षी सदस्यों के इस व्यवहार की निंदा की और आसन से आग्रह किया कि वह नेता प्रतिपक्ष सहित सभी सदस्यों को ‘रिफ्रेशर’ कोर्स करवाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, बशर्ते वे नियमों के तहत हों। राज्यसभा की कार्यवाही आरंभ होते ही उपसभापति हरिवंश ने बताया कि उन्हें मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) क्रमांक के दोहराव, परिसीमन, भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिका से फंडिंग और तीन भाषा नीति सहित कुछ मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराने के लिए नियम 267 के तहत 12 नोटिस मिले हैं। उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए। इसके बाद कांग्रेस, डीएमके और तृणमूल के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों आसन के निकट आ गए और हंगामा करने लगे। उपसभापति हरिवंश ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी बात रखने को कहा। जिसके बाद खरगे ने बोलना शुरू ही किया था कि हरिवंश ने कहा कि वह खारिज किए जा चुके नोटिस से सबंधित मुद्दे नहीं उठा सकते। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने कुछ देर तक विरोध प्रदर्शन किया और फिर सदन से वॉकआउट किया। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्य आसन के निकट आकर लोकसभा सीटों के परिसीमन से दक्षिण के राज्यों पर पड़ने वाले प्रभाव के मुद्दे पर हंगामा कर रहे थे। परिसीमन और नई शिक्षा नीति के मुद्दे पर लोकसभा में भी तकरार देखने को मिली, जब डीएमके सांसद के एक सवाल के जवाब में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भड़क गए और उन्होंने डीएमके सदस्यों को असभ्य कह दिया और तमिलनाडु के छात्रों के भविष्य पर राजनीति करने का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री नड्डा ने वॉकआउट को विपक्ष का ‘गैर जिम्मेदाराना व्यवहार’ करार दिया और सुझाव दिया कि कांग्रेस अध्यक्ष खरगे सहित विपक्षी सांसदों को सदन के नियमों पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने सभापति के विस्तृत फैसले के बावजूद नियम 267 के तहत विपक्षी सांसदों द्वारा नोटिस देने की प्रथा को ‘संसद की संस्था को नीचा दिखाने का शातिर इरादा’ करार दिया। उन्होंने कहा, विपक्ष को बहस में कोई दिलचस्पी नहीं है। वे बस ये दिखाना चाहते हैं कि सरकार सवालों के जवाब नहीं देना चाहती है या बहस से बचना चाहती है।

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