वैष्णो देवी धाम स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज में हाल ही में जारी हुई नामांकन सूची को लेकर विवाद गर्मा गया है। कॉलेज में MBBS सत्र के लिए चयनित 50 छात्रों में से 48 छात्रों का एक ही समुदाय से होना चर्चा का विषय बन गया है। सूची सामने आने के बाद कुछ समूहों ने इसे लेकर प्रश्न उठाए हैं, जबकि कॉलेज प्रशासन का कहना है कि पूरा चयन प्रक्रिया मेरिट और काउंसलिंग नियमों के अनुसार पूरी पारदर्शिता के साथ हुई है।
जानकारी के अनुसार, कॉलेज में विभिन्न राज्यों के उम्मीदवारों का दाखिला होता है, और सीट आवंटन राष्ट्रीय चिकित्सा काउंसिलिंग प्रक्रिया (NEET UG काउंसलिंग) के तहत किया जाता है। इस बार सूची में शामिल अधिकांश छात्रों के एक ही समुदाय से होने के कारण सोशल मीडिया पर भी बहस शुरू हो गई है। दूसरी ओर, यह भी कहा जा रहा है कि कई हिंदू छात्रों ने यहां नामांकन प्रक्रिया में रुचि नहीं दिखाई या अंतिम चरण में सीट स्वीकार नहीं की, जिसके चलते सीटें स्वाभाविक रूप से मेरिट सूची के अनुसार अन्य उम्मीदवारों को आवंटित कर दी गईं।
कॉलेज प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि प्रवेश प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का भेदभाव संभव नहीं है, क्योंकि सीट आवंटन पूरी तरह केंद्रीकृत प्रणाली से होता है। प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि छात्रों का समुदाय या क्षेत्र चयन प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होता, और आवंटन केवल रैंक, श्रेणी और पसंद के आधार पर किया जाता है।
स्थानीय प्रतिनिधियों के अनुसार, मामले को तथ्यात्मक रूप से समझने की आवश्यकता है, ताकि इसे अनावश्यक रूप से विवाद न बनाया जाए। उनका कहना है कि यदि कुछ छात्रों ने वैष्णो देवी जैसे दूरस्थ और पहाड़ी इलाके में स्थित मेडिकल कॉलेज को प्राथमिकता नहीं दी, तो यह भी सीट वितरण को प्रभावित कर सकता है।
फिलहाल, राज्य के शिक्षा विभाग और कॉलेज प्रशासन ने पूरे मामले पर शांतिपूर्वक प्रतिक्रिया देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि समुदाय आधारित बहस के बजाय छात्रों को मिलने वाली सुविधाओं, कॉलेज की गुणवत्ता और क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवाओं के विकास पर ध्यान देना अधिक उचित होगा।





