Wednesday, February 5, 2025

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वैश्विक तकनीकी हब बनने को भारत तैयार

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 2024 में भारत के डिजिटल ढांचे को मजबूत करने के लिए कई प्रमुख पहल शुरू की हैं। इनका फोकस कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), सेमीकंडक्टर निर्माण, और कौशल विकास पर रहा। इन पहलों का उद्देश्य भारत को दुनिया का तकनीकी हब बनाना और अत्याधुनिक नवाचारों को आम लोगों के लिए अधिक सुलभ और सरल बनाना है।मंत्रालय के मुताबिक, सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम के तहत, भारत ने सेमीकंडक्टर क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी। सरकार का यह कदम देश के वैश्विक सेमीकंडक्टर केंद्र बनने की भारत की प्रतिबद्धता की तरफ इशारा करता है। सेमीकंडक्टर ऐसा पदार्थ है जो कुछ परिस्थितियों (जैसे तापमान या अन्य तत्वों के मिश्रण) के आधार पर बिजली को प्रवाहित भी कर सकता है और रोक भी सकता है। सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का दिमाग होते हैं, जो उन्हें जानकारी प्रोसेस करने और काम करने में मदद करते हैं।  इसके तहत टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड  (टीईपीएल) ने ताइवान की पीएसएमसी के साथ साझेदारी में 91,526 करोड़ रुपये के निवेश से सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन (फैब) सुविधा के लिए मंजूरी ली। यह सुविधा हर महीने 50,000 वेफर स्टार्ट्स यानी सिलिकॉन वेफर्स का उत्पादन करेगी। वेफर एक पतली सिलिकॉन की शीट होती है, जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर चिप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने में किया जाता है।टीईपीएल को 27,120 करोड़ रुपये के निवेश से एक आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट (ओएसएटी) सुविधा के लिए मंजूरी दी गई। यह रोजाना 4.8 करोड़ सेमीकंडक्टर यूनिट का उत्पादन करेगी। वैश्विक भागीदारों के साथ सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लि. को 7,584 करोड़ के संयुक्त उद्यम के तहत ओएसएटी सुविधा के लिए मंजूरी दी गई। यह रोजाना 1.57 करोड़ चिप का उत्पादन करेगा। केनेस टेक्नोलॉजी इंडिया लि. को गुजरात के साणंद में 3,307 करोड़ के निवेश से एक ओएसएटी सुविधा स्थापित करने की मंजूरी मिली, जो रोजाना 60.30 लाख चिप्स बनाएगी।

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