Wednesday, February 5, 2025

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वैश्चिक स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए अमेरिका को भारत से काफी आस

व्हाइट हाउस के भारतीय अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अमेरिका को भारत से काफी उम्मीदें हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और दवा निर्माण क्षेत्र के लिए अमेरिका और भारत की साझेदारी काफी महत्वपूर्ण है। अमेरिका के राष्ट्रीय औषधि नियंत्रण नीति कार्यालय (ओएनडीसीपी) के निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा कि विश्व की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है कि दोनों देश सभी क्षेत्रों में अपनी साझेदारी को बनाए रखें और इसमें तेजी लाएं। बाइडन प्रशासन के प्रमुख अधिकारियों में से एक डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए एक साथ आगे बढ़ रहे हैं। दोनों देशों की साझेदारी ही एक ऐसा तरीका है जिसके जरिये दुनिया की समस्या को हल किया जा सकता है। क्योंकि इस साझेदारी में पूर्व पश्चिम से मिलता है। उन्होंने कहा कि यह संबंध न केवल दोनों देशों को बल्कि विश्व के महाद्वीपों को भी एक-दूसरे के करीब आने, एक-दूसरे को समझने और विश्व की सबसे गंभीर समस्याओं को मिलकर हल करने का अवसर देता है। ताकि हम आने वाली पीढ़ी को लोकतांत्रिक तरीके से काम करने के लिए प्रेरित कर सकें।  बाइडन प्रशासन के ड्रग जार के तौर पर डॉ. राहुल गुप्ता ने अमेरिका में दर्द निवारक दवाओं के अधिक इस्तेमाल से हो रही मौतों को कम करने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने इस मुद्दे पर अमेरिका और चीन के बीच समझौता कराया। इस समझौते के तहत चीन ने अमेरिका में अवैध रूप से सिंथेटिक दवाओं की तस्करी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की। डॉ. गुप्ता ने कहा कि भारत के साथ मिलकर अमेरिका ड्रग पॉलिसी को लेकर भी कुछ काम करना चाहता है। इसके तीन मुख्य स्तंभ हैं।  इसमें पहला स्तंभ है मादक पदार्थों के विरुद्ध सहयोग। दूसरी प्राथमिकता सार्वजनिक स्वास्थ्य है। इसमें दोनों देश एक-दूसरे से अपनी प्रगति को साझा करेंगे। डॉ. गुप्ता ने कहा कि हमारे पास स्वास्थ्य शिक्षा जगत, उपचार प्रदाताओं से लेकर कार्यबल की भागीदारी अधिक है। जैसे कि अमेरिका में मनोचिकित्सकों, चिकित्सा डॉक्टरों, नर्सों, परामर्शदाताओं समेत सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यबल की बहुत कमी है। जबकि तीसरा स्तंभ भविष्य में दवा उत्पादनों के लिए आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना है।

उन्होंने कहा कि इसलिए दो देश और दो लोकतंत्र के रूप में हम 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना एक साथ मिलकर करेंगे। हम तकनीक और औषधि खोज को आगे बढ़ाएंगे और साथ ही वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में काम करेंगे। भारत और अमेरिका के बीच सहयोग के अगले चरण का समय आ गया है।

उन्होंने कहा कि दवा की खोज के लिए एआई का उपयोग करने से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि नए उत्पाद भी सस्ते होंगे। साथ ही दुनिया तक हमारी पहुंच भी बढ़ेगी। यह अमेरिका और भारत दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जैसे कोविड के समय भारत ने कई देशों में अपनी वैक्सीन वितरित की। इसलिए अब महत्वपूर्ण है कि हम न केवल नशे की लत, बल्कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कई अन्य दवाओं के मामले में भी उस मॉडल का पालन करें।

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