राज्य वन विकास निगम में कार्यरत एक कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा पिछले 26 महीनों में किए गए गंभीर अनियमितताओं ने पूरे विभाग को झकझोर कर रख दिया है। कंप्यूटर सिस्टम और ऑनलाइन प्रक्रियाओं की बारीक जानकारी रखने वाले इस कर्मचारी ने अपनी तकनीकी दक्षता का दुरुपयोग करते हुए ऐसे कारनामे कर दिए, जिनकी भनक लंबे समय तक अधिकारियों को भी नहीं लग पाई। मामला सामने आने के बाद निगम के उच्च स्तर पर हड़कंप मच गया है और अब अधिकारी भी सतर्क हो गए हैं।
कैसे खुला पूरा खेल?
सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ समय से बिलिंग, स्टॉक विवरण, राजस्व प्रविष्टियों और वानिकी उत्पादों की ऑनलाइन एंट्री में विसंगतियां सामने आ रही थीं। जब लगातार त्रुटियां मिलने लगीं, तो विभागीय स्तर पर रिकॉर्ड की गहन जांच शुरू की गई। जांच के दौरान पाया गया कि निगम के एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने अपने सिस्टम एक्सेस का फायदा उठाकर कई प्रविष्टियों में फेरबदल किया था।
अधिकारियों का कहना है कि ऑपरेटर ने बेच–खरीद के आंकड़ों में बदलाव, फर्जी एंट्री जोड़ने, कुछ फाइलों को छिपाने, और रिकॉर्ड में लगाई गई सुरक्षा बाधाओं को बाईपास करने जैसी गतिविधियों को अंजाम दिया था। कई महीनों तक यह बदलाव इतनी चालाकी से किए गए कि सामान्य समीक्षा के दौरान पकड़ में ही नहीं आए।
26 महीनों में करोड़ों का संभावित गड़बड़झाला
प्रारंभिक जांच के मुताबिक, पिछले 26 महीनों में किए गए इन बदलावों से निगम को भारी आर्थिक नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि ऑपरेटर ने कुछ बाहरी व्यक्तियों और कारोबारियों से मिलीभगत कर स्टॉक कम दिखाना, रेवेन्यू में कटौती करना, तथा अनधिकृत चालान तैयार करना जैसी गतिविधियां भी की होंगी।
मामला तूल पकड़ता देख निगम ने विस्तृत ऑडिट के आदेश जारी कर दिए हैं। विशेषज्ञ आईटी टीम भी बुलाकर सिस्टम की फोरेंसिक जांच शुरू कर दी गई है।
अधिकारियों में बढ़ी सतर्कता, कई ने दिया लिखित बयान
घटना के बाद निगम के कई अधिकारी सतर्क हो गए हैं। एहतियात के तौर पर कई अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी का लिखित विवरण जमा कर दिया है, ताकि जांच के दौरान पारदर्शिता बनी रहे। विभागीय स्तर पर सुरक्षा प्रोटोकॉल को भी कड़ा किया जा रहा है।
निलंबन और एफआईआर की तैयारी
मामला गंभीर होने के कारण कंप्यूटर ऑपरेटर को निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वहीं, जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आर्थिक अपराध शाखा में एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है। निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित धोखाधड़ी का मामला है। जिसकी भी भूमिका सामने आएगी, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
सिस्टम कमजोरियों पर भी उठे सवाल
इस घटना ने निगम के डिजिटल सुरक्षा ढांचे पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय पर अलर्ट सिस्टम और नियमित आईटी ऑडिट को अपनाया गया होता, तो इतनी बड़ी गड़बड़ी सामने आने से पहले ही पकड़ी जा सकती थी।
फिलहाल जांच जारी है और आने वाले दिनों में कई और खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।





