Friday, July 11, 2025

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वडोदरा पुल हादसा: लगातार तीसरे दिन बचाव अभियान जारी, दो लोग अभी भी लापता; अब तक 18 लोगों की मौत

गुजरात के वडोदरा में महिसागर नदी पर बना पुल बुधवार सुबह टूट गया। जिस वक्त हादसा हुआ उस समय पुल से गाड़ियां गुजर रही थीं। पुल टूटने पर दो ट्रक, दो कार और एक रिक्शा समेत पांच वाहन नदी में गिर गए। इस हादसे में अभी तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है। घटनास्थल पर खोज एवं बचाव अभियान शुक्रवार को एक बार फिर से शुरू कर दिया गया है।

जिलाधिकारी अनिल धमेलिया ने कहा, गुरुवार रात एक और शव मिलने के साथ ही पुल ढहने की घटना में मरने वालों की संख्या 18 हो गई है। दो लोग अभी भी लापता हैं। नदी में उफान के कारण बचाव अभियान रोक दिया गया है और शुक्रवार सुबह फिर से शुरू होगा। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों की कम से कम 10 टीमों द्वारा पूरे दिन खोज और बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

जिलाधिकारी अनिल धमेलिया शुक्रवार सुबह फिर से घटनास्थल पर पहुंचे और हालातों का जायजा लिया। घटनास्थल पर खोज एवं बचाव अभियान शुक्रवार को एक बार फिर से शुरू किया गया है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लापता लोगों को तलाश कर रही हैं, लेकिन बारिश और नदी में भारी गाद (कीचड़) की वजह से बाधा आ रही है।

एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें नदी में बहाव वाली दिशा में चार किलोमीटर दूर तक तलाशी अभियान चल रही हैं। तीन ज्ञात लापता लोगों के अलावा अन्य लोग भी लापता हो सकते हैं, क्योंकि एक कार और नदी में गिरे वाहनों में शामिल एक मिनी ट्रक में सवार लोगों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। ये वाहन दलदल में फंस गए थे।

तलाशी अभियान में बारिश बनी बाधा
जिलाधिकारी धमेलिया के मुताबिक, लगातार हो रही बारिश और नदी में गाद (कीचड़) की वजह से बचाव दल को लापता लोगों को तलाश करने में बाधा आ रही है। नदी के बीच में डूबे वाहनों के करीब पहुंचने के लिए किनारे पर एक विशेष पुल का निर्माण किया जा रहा है। इस बीच, सड़क और भवन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम उच्च स्तरीय जांच के लिए बृहस्पतिवार सुबह घटनास्थल पर पहुंची।

गुजरात सरकार ने चार इंजीनियरों को किया निलंबित
वडोदरा पुल हादसे पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कार्रवाई करते हुए राज्य सड़क एवं भवन विभाग के चार इंजीनियरों को निलंबित कर दिया। मुख्यमंत्री पटेल के पास ही यह विभाग है। राज्य सरकार ने पुल पर की गई मरम्मत, निरीक्षण और गुणवत्ता जांच पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञों से कहा था। इस रिपोर्ट के आधार पर ही अधिशाषी अभियंता एनएम नायकवाला, उप कार्यकारी अभियंता यूसी पटेल और आरटी पटेल के अलावा सहायक अभियंता जेवी शाह को निलंबित करने का निर्णय लिया गया।

तीन साल पहले किया था आगाह, विभाग ने नहीं दिया ध्यान: सामाजिक कार्यकर्ता
वडोदार में हुई इस घटना से करीब तीन साल पहले सामाजिक कार्यकर्ता लखन दरबार ने एक सरकारी अधिकारी को पुुल की खतरनाक स्थिति के बारे में आगाह किया था। तब अधिकारी ने भी माना था कि पुल की स्थिति ठीक नहीं है और यह शायद ज्यादा दिन न टिके। हादसे के बाद बुधवार को घटनास्थल पर पहुंचे लखन दरबार ने पत्रकारों से कहा, राज्य सड़क एवं भवन विभाग को पता था कि पुल खतरनाक स्थिति में है, फिर भी इसे वाहनों के लिए बंद नहीं किया गया। मैंने अगस्त, 2022 में एक सरकारी अधिकारी के साथ बातचीत के दौरान पुल से जुड़ी चिंताओं से अवगत कराया था। पुल की इतनी खराब स्थिति के बावजूद, जिम्मेदार एजेंसियों ने समय पर कार्रवाई नहीं की, जिसके कारण यह हादसा हुआ।

लखन और सरकारी अधिकारी के बीच तीन साल पहले हुई बातचीत का ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें लखन को राज्य सड़क एवं भवन विभाग के एक अधिकारी से पुल की मरम्मत या नया पुल बनाने का आग्रह करते सुना जा सकता है। लखन अधिकारी से कह रहे हैं कि पुल की हालत ठीक नहीं, लोगों की जान को खतरा है। अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वह भूख हड़ताल करेंगे। लखन के मुताबिक, वडोदरा जिला पंचायत सदस्य हर्षद सिंह परमार ने भी विभाग को एक पत्र लिखकर करीब 40 साल पहले बने इस पुल की हालत पर चिंता व्यक्त की थी।

गुजरात में चार साल में गिरे सात पुल सरकार की अक्षमता का नतीजा: कांग्रेस
वडोदरा पुल हादसे के अगले दिन कांग्रेस ने दावा किया कि गुजरात में 2021 से अब तक सात पुल ढह चुके हैं। एसआईटी से जांच कराने की मांग करते हुए कांग्रेस ने कहा कि अगर उसकी मांग पूरी नहीं हुई तो पार्टी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया पर लिखा, तीन साल पहले ही पुल की खराब स्थिति को लेकर चिंता जताई गई थी, लेकिन फिर भी कुछ नहीं किया गया। साल 2021 से गुजरात में पुल गिरने की यह 7वीं घटना है। पूरे देश में शासन के नाम पर केवल भाषण और प्रचार में भाजपा नेतृत्व व सरकार उदासीनता की सारी हदें पार कर चुकी है। यह नेतृत्व संकट, चौतरफा भ्रष्टाचार और सरकार की अक्षमता का नतीजा है। उम्मीद है देश की जनता इसे देख रही है और समय आने पर इसका माकूल जवाब देगी।

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