जिले में वकीलों की हड़ताल लगातार 21वें दिन भी जारी रही, जिससे न्यायालयों में नियमित कामकाज पूरी तरह ठप रहा। लंबे समय से चल रही इस आंदोलनात्मक कार्रवाई का असर न सिर्फ वादकारियों पर पड़ रहा है, बल्कि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ती जा रही है। न्यायिक कार्य रुकने से लोगों को तारीख पर तारीख मिल रही है और न्याय की प्रक्रिया गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।
सोमवार सुबह वकील बड़े समूह में अदालत परिसर के बाहर एकत्र हुए और अपने मांगों के समर्थन में धरना शुरू किया। उन्होंने मुख्य द्वार पर प्रतीकात्मक चक्का जाम करते हुए सरकार और न्यायपालिका से तत्काल समाधान की अपील की। वकीलों का कहना है कि उनकी प्रमुख मांगें लंबे समय से अनसुनी पड़ी हैं, जिसके चलते अब आंदोलन को और तीखा करना उनकी मजबूरी बन गया है।
धरने के दौरान वक्ताओं ने कहा कि वकीलों की समस्याएं केवल पेशे से जुड़े लोगों का मुद्दा नहीं हैं, बल्कि न्यायिक प्रणाली की मजबूती से भी सीधे तौर पर जुड़ी हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके साथ लगातार उपेक्षा का व्यवहार किया जा रहा है, जबकि उनके बिना न्याय व्यवस्था का सुचारू संचालन संभव ही नहीं है। वकीलों ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक हड़ताल और चक्का जाम जारी रहेगा।
इस बीच, अदालत परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पुलिस बल को तैनात रखते हुए प्रशासन ने स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखी है। वादकारियों और आम लोगों को अदालत में प्रवेश के दौरान कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ मामलों में लोगों को तारीख बढ़ाने या सुनवाई स्थगित होने की सूचना देकर वापस लौटना पड़ा।
लंबी हड़ताल से न्यायिक कामकाज पर पड़े प्रभाव को देखते हुए सामाजिक संगठनों और स्थानीय प्रतिनिधियों ने भी दोनों पक्षों से बातचीत के जरिए समाधान निकालने की अपील की है। हालांकि, वकीलों ने साफ कर दिया है कि मांगें पूरी होने से पहले वे आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।





