कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने देश की राजनीति में वंशवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वंशवाद लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है, क्योंकि इससे नई सोच और नेतृत्व के अवसर सीमित हो जाते हैं। थरूर ने कहा कि जब दशकों तक एक ही परिवार या वर्ग राजनीतिक रूप से हावी रहता है, तो लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़ें कमजोर होती हैं।
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में थरूर ने कहा, “भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सत्ता किसी व्यक्ति या परिवार की विरासत नहीं होनी चाहिए। राजनीति में लोगों को उनकी क्षमता और कार्य के आधार पर आगे बढ़ना चाहिए, न कि खानदान के नाम पर।” उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का वास्तविक अर्थ तभी साकार होगा, जब हर वर्ग और पृष्ठभूमि के लोग समान अवसरों के साथ आगे आ सकें।
थरूर ने यह भी स्वीकार किया कि वंशवाद सिर्फ एक दल की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे राजनीतिक तंत्र में जड़ें जमा चुका है। उन्होंने कहा, “यह प्रवृत्ति लगभग हर पार्टी में दिखाई देती है, और यह स्थिति लोकतंत्र के स्वस्थ विकास के लिए चिंताजनक है।”
थरूर के इस बयान पर बीजेपी ने तंज कसा। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि शशि थरूर ने जो कहा, वह उनके अनुभव पर आधारित सच्चाई है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी में दशकों से एक ही परिवार का वर्चस्व रहा है, और थरूर का बयान उसी हकीकत को उजागर करता है।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि थरूर का यह बयान न केवल कांग्रेस के भीतर आत्ममंथन की जरूरत की ओर इशारा करता है, बल्कि देश के व्यापक राजनीतिक परिदृश्य में भी पारदर्शिता और योग्यता आधारित नेतृत्व की मांग को मजबूत करता है।





