नई दिल्ली।
भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने वाली संवैधानिक संस्था लोकपाल इन दिनों एक नई वजह से सुर्खियों में है। संस्था ने हाल ही में सात लग्जरी BMW कारों की खरीद के लिए टेंडर जारी किया है। इन कारों का इस्तेमाल लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों सहित वरिष्ठ अधिकारियों के आवागमन के लिए किया जाना प्रस्तावित है। हालांकि, इस निर्णय ने सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और सरकारी सादगी को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
लोकपाल सचिवालय की ओर से जारी टेंडर दस्तावेज़ में बताया गया है कि ये वाहन BMW 5 सीरीज या समान श्रेणी की होंगी, जिनमें अत्याधुनिक सुरक्षा और आराम की सुविधाएं होंगी। कारों की अनुमानित लागत करोड़ों रुपये में बताई जा रही है।
टेंडर के सार्वजनिक होते ही सोशल मीडिया पर इस कदम की आलोचना शुरू हो गई। कई लोगों ने सवाल उठाया कि भ्रष्टाचार विरोधी संस्था को विलासिता का नहीं, सादगी और पारदर्शिता का प्रतीक होना चाहिए। विपक्षी दलों ने भी इस खरीद पर निशाना साधते हुए कहा कि “जब सरकारी विभाग खर्च में कटौती की नीति अपना रहे हैं, तब लोकपाल का लग्जरी कार खरीदना अनुचित है।”
एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने कहा, “लोकपाल जैसी संस्थाएं जनता के विश्वास पर खड़ी हैं। उन्हें उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए, न कि विलासिता दिखाना।”
हालांकि, लोकपाल सचिवालय के सूत्रों ने सफाई दी है कि इन वाहनों की खरीद सुरक्षा और कार्य की आवश्यकता को देखते हुए की जा रही है। उनका कहना है कि अध्यक्ष और सदस्यों को संवेदनशील मामलों की जांच और दौरे के दौरान सुरक्षित, भरोसेमंद वाहन उपलब्ध कराना आवश्यक है।
इस निर्णय को लेकर जनता और विशेषज्ञों के बीच मतभेद हैं। कुछ का कहना है कि उच्च पदाधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है, जबकि अन्य इसे “जनता के पैसे से विलासिता” करार दे रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि लोकपाल जैसी संस्था को पारदर्शिता, मितव्ययिता और जवाबदेही की मिसाल पेश करनी चाहिए, ताकि वह जनता के विश्वास को और मजबूत कर सके।
इस बीच, वित्त मंत्रालय और संबंधित विभागों से भी इस खरीद को लेकर स्पष्टीकरण मांगे जाने की संभावना जताई जा रही है। फिलहाल, टेंडर प्रक्रिया जारी है और अगले कुछ सप्ताहों में कार खरीद से जुड़ी अंतिम मंजूरी मिलने की उम्मीद है।