यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष पर अंतरराष्ट्रीय दबाव धीरे-धीरे बढ़ रहा है, लेकिन कीव का रुख अब भी अडिग दिखाई देता है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने एक बार फिर स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उनका देश रूस को “एक इंच जमीन” भी नहीं देगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि हाल के दिनों में अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की ओर से समझौते के लिए बढ़ाए जा रहे दबाव के बावजूद यूक्रेन अपने रुख में किसी भी तरह की ढील देने को तैयार नहीं है।
जेलेंस्की ने अपने बयान में कहा कि यूक्रेन की भूमि उसकी संप्रभुता और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है। ऐसे में किसी भी तरह का भू-भाग छोड़ देने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि युद्ध की कठोर परिस्थितियों के बावजूद यूक्रेन की सेना और नागरिकों का मनोबल मजबूत है और वे अपनी धरती की सुरक्षा के लिए अंत तक लड़ने को तैयार हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय में यह चर्चा तेज हो गई है कि युद्ध लंबे समय तक खिंचने के कारण अमेरिका और कुछ सहयोगी देश यूक्रेन को किसी तरह के राजनीतिक विकल्पों पर विचार करने को कह रहे हैं। हालांकि, जेलेंस्की ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी समाधान का आधार केवल न्यायपूर्ण शांति हो सकता है और इसके लिए रूस को आक्रामकता रोकनी होगी तथा कब्जाए गए क्षेत्रों से पीछे हटना पड़ेगा।
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है, लेकिन अंततः अपने भविष्य और क्षेत्रीय अखंडता का निर्णय यूक्रेन स्वयं करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह का बाहरी दबाव उनकी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और जनता के हितों से ऊपर नहीं हो सकता।
फिलहाल, जेलेंस्की के इस कठोर रुख से यह संकेत साफ है कि यूक्रेन अपने सैन्य और राजनीतिक मोर्चों पर संघर्ष जारी रखने के लिए तैयार है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अंतरराष्ट्रीय दबाव और युद्ध की स्थितियाँ मिलकर किस दिशा में नया समीकरण बनाती हैं।





