ईरान ने अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को विस्तार देने की घोषणा की है। देश रूस के सहयोग से आठ नए परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करेगा। ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने स्पष्ट किया है कि इस परियोजना का उद्देश्य परमाणु हथियार विकसित करना नहीं, बल्कि देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना और आर्थिक आत्मनिर्भरता को सशक्त बनाना है।
तेहरान में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति रईसी ने कहा, “हमारा परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है। ईरान परमाणु हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं होना चाहता। हमारा लक्ष्य बिजली उत्पादन बढ़ाना और औद्योगिक विकास को गति देना है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि रूस के साथ साझेदारी से तकनीकी सहयोग, सुरक्षा उपायों और पर्यावरणीय मानकों को और मजबूत किया जाएगा।
ईरानी परमाणु ऊर्जा संगठन (AEOI) के प्रमुख मोहम्मद इस्लामी ने बताया कि इन नए संयंत्रों में अत्याधुनिक रिएक्टर तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इनमें से दो संयंत्र बसहर प्रांत में और अन्य दक्षिणी व मध्य क्षेत्रों में स्थापित किए जाएंगे। रूस पहले से ही बसहर परमाणु संयंत्र के निर्माण में ईरान का प्रमुख तकनीकी साझेदार रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझौता पश्चिमी देशों के साथ ईरान के संबंधों पर असर डाल सकता है, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ पहले भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंता जता चुके हैं। हालांकि, रईसी ने दोहराया कि “ईरान अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सभी नियमों और निरीक्षणों का पालन करेगा।”
रूस के ऊर्जा मंत्रालय ने भी पुष्टि की कि दोनों देशों के बीच यह सहयोग “दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी” का हिस्सा है। रूसी अधिकारियों का कहना है कि परियोजना का उद्देश्य पश्चिम एशिया में स्थायी ऊर्जा ढांचे को मजबूत करना है।
ईरान का कहना है कि देश में बढ़ती बिजली की मांग और औद्योगिक विकास को देखते हुए परमाणु ऊर्जा अब राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गई है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस परियोजना पर करीबी नजर बनाए हुए है।





