Thursday, October 23, 2025

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राहुल-तेजस्वी का ‘याराना’ टूटा, मोदी-नीतीश एक मंच पर; शाह संभाल रहे मोर्चा

पटना / नई दिल्ली: बिहार की सियासत में इन दिनों बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जहां एक ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी फिर से मजबूत होती दिख रही है। इस बीच, गृह मंत्री अमित शाह लगातार भाजपा संगठन को सक्रिय रखकर विपक्ष के समीकरणों में खलल डाल रहे हैं।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बिहार की राजनीति एक बार फिर से पुराने स्वरूप में लौटती नजर आ रही है — यानी एनडीए बनाम विपक्षी खेमे की सीधी लड़ाई। लेकिन इस बार विपक्ष की एकजुटता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

राहुल-तेजस्वी में बढ़ती दूरी

सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच सीट बंटवारे, उम्मीदवार चयन और साझा रणनीति को लेकर पिछले कई हफ्तों से तनाव है। कांग्रेस की प्रदेश इकाई का कहना है कि राजद अपने हिस्से से ज़्यादा सीटें चाहती है, जबकि राजद का आरोप है कि कांग्रेस ज़मीन पर कमजोर होते हुए भी समान भागीदारी” की मांग कर रही है।

पिछले दिनों पटना में हुई विपक्षी गठबंधन इंडिया’ की बैठक में भी राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच ठंडी बातचीत ने अटकलों को और हवा दी। दोनों नेताओं ने मंच साझा तो किया, लेकिन आपसी संवाद बेहद सीमित रहा।

मोदी-नीतीश की नई रफ्तार

इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर साझा मंच पर नजर आने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार, अगले हफ्ते प्रधानमंत्री की बिहार यात्रा के दौरान नीतीश कुमार उनके साथ कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे।
राजनीतिक हलकों में इसे मोदी-नीतीश की वापसी वाली जोड़ी’ के रूप में देखा जा रहा है। दोनों नेताओं के बीच तालमेल को लेकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व भी संतुष्ट बताया जा रहा है।

नीतीश कुमार, जिन्होंने कुछ महीने पहले तक विपक्षी एकता की पैरवी की थी, अब खुलकर केंद्र सरकार की योजनाओं की सराहना कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था, “राज्य के विकास के लिए केंद्र और राज्य को साथ मिलकर काम करना चाहिए।”

शाह की रणनीतिक सक्रियता

वहीं, भाजपा के रणनीतिकार के रूप में अमित शाह बिहार में लगातार सक्रिय हैं। उन्होंने हाल ही में प्रदेश में कई रैलियों को संबोधित करते हुए विपक्ष पर सीधा प्रहार किया और कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि आने वाले चुनाव में भाजपा किसी भी हाल में बिहार में मजबूत स्थिति में होगी।

शाह की रणनीति साफ है — भाजपा संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करना, गठबंधन सहयोगियों के बीच तालमेल बनाए रखना और विपक्षी दलों के अंदर की असहमति को राजनीतिक रूप से भुनाना।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “राहुल और तेजस्वी की दूरी बढ़ने का सीधा फायदा एनडीए को मिलेगा, और शाह इस मौके को किसी भी कीमत पर हाथ से नहीं जाने देंगे।”

सियासत में नए समीकरण की झलक

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार की सियासत का यह दौर “स्थायी गठबंधन की राजनीति नहीं, बल्कि अवसर आधारित समीकरणों का दौर” है। राहुल और तेजस्वी के बीच दूरी जहां विपक्षी खेमे के लिए चुनौती बन रही है, वहीं मोदी-नीतीश की एकजुटता एनडीए को मजबूती दे रही है।

आने वाले महीनों में बिहार में होने वाली राजनीतिक गतिविधियां इस समीकरण को और स्पष्ट करेंगी। अभी के हालात बताते हैं कि राहुल-तेजस्वी की दोस्ती में दरार, मोदी-नीतीश की नजदीकी, और शाह की रणनीतिक सटीकता—इन तीनों ने बिहार की सियासत को फिर से रोमांचक बना दिया है।

 

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