कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि दोनों संगठनों को जनता की भावनाओं की कोई परवाह नहीं है। शुक्रवार को केरल के कोट्टायम में पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी की दूसरी पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में राहुल ने कहा कि उनकी आरएसएस और माकपा से विचारधारा को लेकर लड़ाई जरूर है, लेकिन सबसे बड़ी शिकायत यह है कि ये संगठन लोगों से जुड़े नहीं हैं और उनके बारे में सोचते तक नहीं।
राहुल गांधी का तर्क:
“अगर आप राजनीति में हैं, तो आपको जनता की बात सुननी चाहिए, उनकी भावनाएं समझनी चाहिए। लेकिन भारतीय राजनीति की त्रासदी यह है कि अब बहुत कम लोग दूसरों की भावनाओं की परवाह करते हैं।”
उन्होंने कहा कि जनता से जुड़ाव ही एक सच्चे नेता की पहचान है, और यही मूल्य आज की राजनीति में गायब होता जा रहा है।
रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ ईडी की कार्रवाई पर भी तीखी प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर आरोप-पत्र को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने इसे राजनीतिक प्रताड़ना का हिस्सा बताया।
‘एक्स’ पर राहुल गांधी ने लिखा:
“मेरे बहनोई को पिछले 10 वर्षों से यह सरकार परेशान कर रही है। यह नया आरोप-पत्र उसी राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। मैं रॉबर्ट, प्रियंका और उनके बच्चों के साथ खड़ा हूं। वे बहादुर हैं और हर मुश्किल का सामना हिम्मत और गरिमा के साथ करेंगे।”
राहुल गांधी ने भरोसा जताया कि अंततः सच्चाई की जीत होगी।
राहुल गांधी के बयानों ने एक बार फिर आरएसएस और माकपा के साथ उनकी वैचारिक टकराव को रेखांकित किया है। साथ ही उन्होंने ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक साजिश बताते हुए केंद्र पर लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के दमन का आरोप लगाया है। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद विपक्ष के नेता के रूप में उनकी सक्रियता और आक्रामकता अब और अधिक स्पष्ट दिखाई दे रही है।