नई दिल्ली: देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि आज के डिजिटल युग में “डिजिटल अरेस्ट” — यानी जब नागरिक अपनी व्यक्तिगत आदतों, डेटा, गोपनीयता और निर्णय-स्वतंत्रता को डिजिटल मोर्चे पर खोने लगते हैं — नागरिकों के लिए सबसे खतरनाक खतरों में से एक बन चुका है। उन्होंने यह बात एक तकनीकी मंच में कही, जहाँ उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, डेटा सुरक्षा और नागरिक की गरिमा के बीच संबंधों पर विशेष रूप से ध्यान दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे भौतिक जंजीरें व्यक्ति को आजाद नहीं रहने देतीं, वैसे ही डिजिटल नियंत्रण भी मनुष्य को “स्व-निर्णय” से वंचित कर सकता है। उन्होंने इस प्रकार चेतावनी दी कि केवल तार और चिप-सर्किट की बंदिश नहीं बल्कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, डेटा संग्रहण एवं-विश्लेषण के जरिए नागरिक आज अनजाने में ही प्रतिबंधित होकर रह सकते हैं।
उन्होंने कहा:
“जब मानव-विकल्प किसी मशीन, लॉग-फाइल या एल्गोरिद्म के फैसले के अधीन हो जाए, तो वह ‘डिजिटल अरेस्ट’ की तरह है, और यह नागरिक-स्वातंत्र्य का सबसे बड़ा चुनौती-स्तंभ बन सकता है।”
राष्ट्रपति मुर्मू ने यह भी जोड़ते हुए कहा कि इस खतरे का मुकाबला तभी संभव है जब सरकार, तकनीकी उद्योग, नागरिक समाज एवं-प्रत्येक व्यक्ति मिलकर कार्य करें — निजी डेटा-स्वामित्व, पारदर्शी एल्गोरिद्म, और नागरिकों की डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना इस दिशा में अहम कदम हैं।
उन्होंने बताया कि हालाँकि भारत ने डिजिटल सेवा-विस्तार, ई-गवर्नेन्स व बैंकिंग के क्षेत्र में बहुत तेजी से प्रगति की है, लेकिन इसके साथ ही “नियंत्रण-सूचक डिजिटल माइक्रोमैनेजमेंट” का खतरा भी उत्पन्न हुआ है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि डिजिटल विकास मानव-केंद्रित, न्यायोचित और स्वतंत्र निर्णय-सक्षम नागरिकों को सशक्त बनाने वाला हो।
राष्ट्रपति ने प्रशासनिक अधिकारियों से आग्रह किया कि डेटा-सुरक्षा कानूनों को अधिक सशक्त बनाया जाएँ, निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए, और आम नागरिकों को यह अधिकार मिले कि वे जान सकें कि उनके डेटा का कैसे उपयोग हो रहा है। साथ ही, उन्होंने नागरिकों को स्वयं सतर्क रहने के लिए प्रेरित किया — अपनी डिजिटल पहचान सुरक्षित रखें, अनधिकृत पहुँच-अनुभव साझा करें, और डिजिटल प्लेटफार्मों पर सक्रिय रूप से सहभागी बनें।
समारोह में तकनीक, साइबर सुरक्षा, शिक्षा और नागरिक अधिकारों से जुड़े विशेषज्ञ एवं प्रतिनिधि उपस्थित थे। उन्होंने अध्यक्षीय भाषण को समृद्ध माना और कहा कि डिजिटल-स्वतंत्रता का सवाल सिर्फ तकनीक का नहीं बल्कि लोकतंत्र का है।
अगर चाहें, तो मैं इस खबर के साथ साइड-बार तैयार कर सकती हूँ जिसमें “डिजिटल अरेस्ट का क्या मतलब है”, “नागरिकों के लिए सावधानी के उपाय”, और “भारत में डेटा-सुरक्षा की वर्तमान स्थिति” जैसे बिंदुओं को शामिल किया जाएगा।
भव्यता, प्रतीक और देशभक्ति का मेल दिखाया जा रहा है जब Narendra Modi इस वर्ष के National Unity Day के मौके पर “राष्ट्र को संदेश” देने के लिए यहाँ पहुँचे हैं। आइये विस्तार से देखें कि क्या है योजना —
- मोदी जी आज गुजरात के Ekta Nagar (पूर्व में केवड़िया) स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में एक विशेष कार्यक्रम में शामिल होंगे, जिसे प्रशासन ने बड़ी तैयारी के साथ आयोजित किया है।
- इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण में शामिल हैं:
- प्रधानमंत्री द्वारा विशाल प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित करना।
- एक परेड जिसमें केन्द्रीय सुरक्षाबल, राज्य पुलिस बल तथा एनसीसी समेत विभिन्न चित्र दिखाए जाएंगे — इस परेड को ‘एकता’ संदेश के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
- विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, विभिन्न राज्यों-संघीय क्षेत्रों के थिम-टेबलो (तालाब्लो) व नुक्कड़-प्रस्तुतियाँ, जो भारत की विविधता और एकता को एक साथ प्रस्तुत करेंगी। संदेश क्या है?
- मोदी जी ने पहले भी कहा है कि यह प्रतिमा केवल एक निर्माण नहीं बल्कि “भारत की अखंडता, भारत की दृढ़ता और भारत की एकता” का प्रतीक है।
- इस अवसर पर उनका उद्देश्य है यह दिखाना कि बहुत-सारी भाषाएं-बहुत-सारे रंग-बहुत-सारे समाज-पर एक राष्ट्र खड़ा है (उनके शब्दों में: “राज्य अनेक-राष्ट्र एक, समाज अनेक-भारत एक, भाषा अनेक-भाव एक, रंग अनेक-तिरंगा एक”)।
- इस तरह, इस आयोजन में ‘वीरता’ का भाव भी समाहित है — यानी, देश की रक्षा, सुरक्षाबलों की भूमिका, साहस की व्याख्या — और ‘एकता’ का भाव भी — सामाजिक-सांस्कृतिक, भाषाई-भौगोलिक समावेश की व्याख्या।





