Friday, April 11, 2025

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रामबाड़ा के पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने का कार्य हुआ शुरू

केदारनाथ के पुराने मार्ग को रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक 5.35 किमी पुनर्जीवित करने का कार्य पुन: शुरू हो गया है। बर्फबारी के कारण इसे रोक दिया गया था। वर्ष के मध्य तक यह रास्ता तैयार होने की उम्मीद है, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तपस्थली गरुड़चट्टी में भी रौनक लौट आएगी। उन्होंने अस्सी के दशक में यहां तीन माह साधना की थी। आपदा के बाद से यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। लोक निर्माण विभाग ने बीते वर्ष जून में रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने के लिए 200 मजदूरों के साथ काम शुरू किया था। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच 5.35 किमी लंबे और 1.8 मीटर चौड़े इस मार्ग का कार्य चार किमी से अधिक पूरा हो चुका है। इस वर्ष फरवरी के आखिर में भारी बर्फबारी के कारण यहां कार्य बंद कर दिया गया था। दो दिन पूर्व लोनिवि ने पुन: पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने का कार्य शुरू कर दिया है। यहां 70 मजदूर कार्य कर रहे हैं।विभागीय अधिकारियों के अनुसार तअगली जुलाई तक कटान कार्य पूरा कर सुरक्षा दीवार, पत्थर बिछाने और पैराफिट का किया जाएगा। इस मार्ग के पुनर्जीवित होने से बाबा केदार के भक्तों की केदारनाथ तक पहुंचने की राह कुछ आसान हो जाएगी।

इससे पिछले ग्यारह वर्ष से चल रहा गरुड्चट्टी का वीराना भी खत्म हो जाएगा। इस रास्ते से केदारनाथ पहुंचने वाले श्रद्धालु हनुमान और गरुड़ जी के दर्शन कर सकेंगे। बता दें कि वर्ष 2017-18 में गरुड़चट्टी से केदारनाथ तक 3 किमी रास्ता बनकर तैयार हो चुका है। इस रास्ते को केदारनाथ मंदिर से जोड़ने के लिए मंदाकिनी नदी पर स्टील गार्डर पुल भी बन गया है।अस्सी के दशक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरुड़चट्टी में लगभग तीन माह तक साधना की थी। तब वह प्रतिदिन गरुड़चट्टी से मंदिर आते थे और बाबा केदार के दर्शन कर जलाभिषेक करते थे। वरिष्ठ तीर्थपुरोहित श्रीनिवास पोस्ती बताते हैं कि प्रधानमंत्री का केदारनाथ से विशेष लगाव है। प्रधानमंत्री बनने के बाद वर्ष 2017 में वह पहली बार जब धाम पहुंचे थे, तब उन्होंने गरुड़चट्टी में बिताए दिनों को याद किया और उस दौरान के लोगों के नाम भी लिए थे।16/17 जून 2013 की केदारनाथ आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक लगभग आठ किमी पैदल मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। इस मार्ग के ध्वस्त होने से गरुड़चट्टी व केदारनाथ से संपर्क टूट गया था। केदारनाथ तक पहुंच के लिए मार्च 2014 में रामबाड़ा से मंदाकिनी नदी के बाई तरफ से 9 किमी नया रास्ता तैयार किया गया, जिस पर बीते एक दशक से यात्रा संचालित हो रही है।

 

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