Friday, July 18, 2025

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राजनीति की पाठशाला बनते पंचायत चुनाव, युवा प्रत्याशी बना रहे नई पहचान

उत्तराखंड में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव केवल लोकतंत्र का महापर्व नहीं, बल्कि युवा नेतृत्व के उभार की नई मिसाल बनते जा रहे हैं। इस बार ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्य पदों पर युवाओं की भागीदारी ने बुजुर्गों के वर्चस्व की परंपरा को चुनौती दी है।

शहर से गांव तक राजनीतिक अनुभव का विस्तार
डीएवी कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सिद्धार्थ राणा रौंदेली क्षेत्र पंचायत से बीडीसी पद के लिए चुनाव मैदान में हैं। शहर में राजनीतिक अनुभव बटोरने के बाद अब वे ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं। वहीं, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष प्रेमचंद नौटियाल मशक क्षेत्र पंचायत से बीडीसी प्रत्याशी हैं और बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर युवाओं के सहयोग से विकास की बात कर रहे हैं।

छात्रसंघ से पंचायत तक का सफर
एनएसयूआई के टिकट पर डीएवी कॉलेज से छात्रसंघ का चुनाव लड़ चुके श्याम सिंह चौहान जिला पंचायत रायगी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष प्रमेश रावत प्यूनल से, वरिष्ठ छात्र नेता अंकिता पाल ग्राम सभा खोलिया गांव (अस्कोट) से ग्राम प्रधान पद पर, और नित्यानंद कोठियाल बुढ़वां से बीडीसी प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

सपना केवल सत्ता का नहीं, विकास का है
इन युवाओं का राजनीति में उतरने का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि वे अपने क्षेत्र के विकास को नया आयाम देना चाहते हैं। वे अस्पताल, पार्क, खेल मैदान, कॉलेज, शमशान घाट, पेंशन योजनाएं, और सरकारी सुविधाओं को गांव-गांव तक पहुँचाने की योजना बना चुके हैं। उनका मानना है कि अब बुजुर्गों को चुनाव लड़ने की नहीं, बल्कि प्रतिनिधित्व पाने की जरूरत है—जिसे वे पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाना चाहते हैं।

निष्कर्ष
उत्तराखंड का पंचायत चुनाव अब केवल परंपरा नहीं, परिवर्तन की नई पटकथा लिख रहा है—जिसमें युवाओं की ऊर्जा, सोच और समर्पण लोकतंत्र को नई दिशा दे रहा है।

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