भारत और रूस के रक्षा सहयोग को नई दिशा देने वाला एक महत्वपूर्ण दौर आज शुरू होने जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री के बीच होने वाली बैठक को सामरिक दृष्टि से अत्यंत अहम माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच मौजूदा रक्षा परियोजनाओं की समीक्षा के साथ–साथ भविष्य की उन्नत तकनीकों पर भी बातचीत हो सकती है। विशेष रूप से, S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की आपूर्ति प्रगति पर चर्चा के साथ रूस की नई पीढ़ी की एयर डिफेंस प्रणाली S-500 पर बातचीत की संभावना को भी खारिज नहीं किया जा रहा है।
बैठक के दौरान भारत–रूस रक्षा साझेदारी के व्यापक ढांचे की समीक्षा होगी, जिसमें संयुक्त उत्पादन, तकनीकी सहयोग, उपकरणों की आपूर्ति और सुरक्षा चुनौतियों पर साझा रणनीतियों पर चर्चा शामिल है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि S-500 प्रणाली पर संभव बातचीत दोनों देशों के रिश्तों की गहराई और भरोसे को दर्शाती है, क्योंकि यह प्रणाली रूस की सबसे उन्नत और रणनीतिक मिसाइल रक्षा तकनीकों में से एक है।
भारत पहले ही S-400 मिसाइल प्रणाली का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त कर चुका है, जिसने देश की वायु प्रतिरक्षा क्षमता को उल्लेखनीय रूप से मजबूत किया है। माना जा रहा है कि बैठक में इन डिलीवरी की प्रगति और शेष बैचों की समयसीमा पर विस्तृत बातचीत होगी। इसके अलावा, ब्रह्मोस मिसाइल, सुखोई और मिग विमानों के आधुनिकीकरण, तथा नौसैनिक सहयोग जैसे मुद्दे भी एजेंडे में शामिल हो सकते हैं।
S-500 पर संभावित चर्चा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रणाली लंबी दूरी पर एक साथ कई लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम मानी जाती है, जिनमें बैलिस्टिक मिसाइलें, हाइपरसोनिक हथियार और अंतरिक्ष आधारित खतरें भी शामिल हैं। यदि इस पर भविष्य में कोई समझ बनती है, तो यह भारत की वायु रक्षा संरचना में बड़ा बदलाव ला सकती है।
कुल मिलाकर, आज की यह बैठक भारत–रूस रक्षा संबंधों को और मजबूती देने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकती है। इसके नतीजे आने वाले वर्षों में भारत की सुरक्षा क्षमताओं और सामरिक तैयारियों पर व्यापक प्रभाव डाल सकते हैं।





